बिहार विधानसभा में 166 ग्रुप डी की रिक्तियों के लिए लगभग 5 लाख ग्रेजुएट, पोस्ट ग्रेजुएट, एमबीए और एमसीए डिग्री धारकों ने आवेदन किया है। बता दें कि ग्रुप डी पदों के अंतर्गत चपरासी, माली, गेटकीपर, सफाईकर्मी और समकक्ष पद आते हैं। आवेदन करने वाले एक छात्र ने कहा कि बेरोजगारी के कारण वह इस नौकरी के लिए आवेदन करने को मजबूर हैं। उन्होंने दावा किया कि उच्च शिक्षा की डिग्री वाले लोगों को निजी क्षेत्र में 10,000 रुपये के मूल वेतन के साथ नौकरी भी नहीं मिलती है।
एक अन्य आवेदनकर्ता ने कहा कि एमटेक, बीटेक और डिप्लोमा डिग्री वाले लोग भी ग्रुप डी पदों पर सरकारी नौकरी के लिए आवेदन करते हैं। कांग्रेस नेता प्रेम चंद्र मिश्रा ने स्थिति को चिंता और जांच का विषय बताया। उन्होनें कहा, “लाखों आवेदक इस नौकरी के लिए आवेदन कर रहे हैं। भर्ती के लिए साक्षात्कार सितंबर में शुरू हुआ था। मेरे अनुसार, अब तक 4,32,000 आवेदक साक्षात्कार में उपस्थित हो चुके हैं। लगभग 1,500 से 1,600 उम्मीदवार हर दिन साक्षात्कार में उपस्थित हो रहे हैं।”
उन्होनें कहा, “कहीं न कहीं बिहार में नौकरी का संकट और बेरोजगारी की स्थिति है। इसलिए एमबीए और बीसीए डिग्री वाले लोग ग्रुप डी की नौकरियों के लिए आवेदन कर रहे हैं। ‘उच्च योग्यता वाले युवक चपरासी के रूप में काम करने के लिए तैयार हैं। इससे अधिक दुर्भाग्यपूर्ण कुछ भी नहीं हो सकता। मध्य प्रदेश और झारखंड जैसे अन्य राज्यों के लोग भी नौकरियों के लिए यहां आ रहे हैं, जिसका मतलब है कि ये राज्य भी बेरोजगारी के संकट से जूझ रहे हैं।”