Schools Reopen: 18 जनवरी से खुल सकेंगे स्कूल, CBSE एग्जाम को लेकर दिल्ली सरकार का फैसला
Schools Reopen date & SOP News Update: देश में कोरोना वायरस (COVID-19) के कारण पिछले करीब 10 महीनों से स्कूल बंद हैं और अब तक दिल्ली में बच्चों ने इस शैक्षणिक वर्ष के एक भी दिन के लिए ऑफलाइन कक्षाओं में भाग नहीं लिया है।

Schools Re-opening date: दिल्ली सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी के सभी सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों को फिर से खोलने की अनुमति दी है। दिल्ली सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा बुधवार को जारी निर्देशों के अनुसार, दिल्ली के सभी स्कूलों में कक्षा 10 और 12 के छात्रों को क्लास अटेंटड करने के लिए बुलाया जा सकता है। हालांकि, निर्देशों में साफ तौर पर यह भी बताया गया है कि माता-पिता के लिए बच्चों को स्कूल भेजने का फैसला वैकल्पिक तौर पर होगा। यानी छात्रों पर जोर डालकर स्कूल में नहीं बुलाया जाएगा। देश में कोरोना वायरस (COVID-19) के कारण पिछले करीब 10 महीनों से स्कूल बंद हैं और अब तक दिल्ली में बच्चों ने इस शैक्षणिक वर्ष के एक भी दिन के लिए ऑफलाइन कक्षाओं में भाग नहीं लिया है।
दरअसल, सीबीएसई ने हाल में 1 मार्च से प्रैक्टिकल और 4 मई से बोर्ड परीक्षाएं आयोजित करने की घोषणा की थी। दिल्ली सरकार ने मार्च से शुरू होने वाले CBSE Board Exam प्रैक्टिकल और मई से शुरू हो रही बोर्ड परीक्षाओं को ध्यान में रखते हुए स्कूलों को फिर से खोलने का फैसला लिया है। दिल्ली के उप मुख्यमंत्री और राज्य शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने अपने ट्विटर अकाउंट के जरिए यह सूचना दी है।
दिल्ली में CBSE बोर्ड परीक्षाओं व प्रैक्टिकल के मद्देनज़र 10वीं और 12 वीं क्लास के लिए 18 जनवरी से प्रैक्टिकल, प्रोजेक्ट, काउंसिलिंग आदि के लिए स्कूल खोलने की अनुमति दी जा रही है. अभिभावकों की सहमति से ही बच्चों को बुलाया जा सकेगा. बच्चों को आने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा.
— Manish Sisodia (@msisodia) January 13, 2021
बुधवार को जारी किए गए सर्कुलर, शिक्षा निदेशालय (DoE) ने कहा, ‘प्री-बोर्ड की तैयारी और प्रैक्टिकल वर्क से संबंधित तैयारी करने के लिए, सरकारी, सहायता प्राप्त और गैर मान्यता प्राप्त स्कूलों में 18 जनवरी से कक्षा 10 और 12 के छात्रों को बुला सकते हैं। हालांकि, इस दौरान मानक संचालन प्रक्रिया (SOPs) का पूरा ध्यान रखते हुए, बच्चे को केवल माता-पिता की सहमति से स्कूल में बुलाया जाना चाहिए। इसके अलावा, स्कूल में आने वाले बच्चों के रिकॉर्ड को बनाए रखा जाना चाहिए, वहीं इसका इस्तेमाल अटेंडेंस के लिए नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि बच्चे को स्कूल भेजना माता-पिता के लिए पूरी तरह से वैकल्पिक है।’
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