भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा अपने गृह राज्य हिमाचल प्रदेश के धड़ाधड़ दौरे कर रहे हैं। इसे लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनावों को बमुश्किल चार-पांच महीने का समय बचा है। ऐसे में राष्ट्रीय अध्यक्ष के हिमाचल दौरों को लेकर काफी चर्चा है। यह भी सच्चाई है कि चार राज्यों में धमाकेदार जीत के बाद उत्साहित व और अधिक मजबूत हुए नड्डा अपने गृह राज्य में किसी भी हालत में सरकार को दोबारा लाना चाहते हैं।
प्रेम कुमार धूमल के मुख्यमंत्री होते हुए मंत्री पद छोड़ कर दिल्ली गए नड्डा का उस समय यही सपना था कि वे एक बार प्रदेश के मुख्यमंत्री पद पर बैठेंगे। यह बात अलग है कि दिल्ली जाकर उन्होंने जिस तेजी से अपनी जगह बनाई वह अपने आप में एक इतिहास बन गया है।
भाजपा के राष्ट्ीय अध्यक्ष ने हिमाचल प्रदेश में अपने दौरों के दौरान अपने संबोधन में बार-बार सपष्ट कर दिया है कि किसी भी विधायक या मंत्री का टिकट पक्का नहीं है। सर्वे होगा और यह आधार बनेगा। ऐसे में कई विधायक मंत्री जिनके प्रदर्शन को लेकर शंका है वे खौफजदा हो गए हैं। यही नहीं, कई ऐसे विधायक व मंत्री तो दूसरे जुगाड़ में भी जुट गए ताकि यदि ऐन मौके पर टिकट कट जाता है तो दूसरी जगह जिसके लिए अब प्रदेश में आम आदमी पार्टी का विकल्प मौजूद हैं।
ऐसे नेताओं ने दूसरी जगह भी अपने सेल तैयार करना शुरू कर दिए हैं। माना जा रहा है कि भारतीय जनता पार्टी अपने आधे विधायक मंत्रियों के टिकट उनके प्रदर्शन के कारण बदल सकती है। ऐसे में काफी उलटफेर प्रदेश के राजनीति में देखने को मिलेगा। इसी तरह अब कांग्रेस भी पूरी तरह से तेजी में है। राजनीति से दूर होती दिख रही प्रतिभा सिंह अप्रत्याशित रूप से जीत हासिल करके मंडी की सांसद ही नहीं बनीं वे तो कांग्रेस पार्टी की गाड़ी के स्टेयरिंग पर जाकर बैठ गईं। कभी राजनीतिक मोटर की आखिरी सीट पर नजर आती प्रतिभा सिंह के आने से सभी गुट शांत जैसे हो गए हैं और एकजुटता दिखाने के कई प्रयास हो चुके हैं।
अब कांग्रेस ने भी एक परिवार एक टिकट, ज्यादा उम्र, बार-बार हारने वालों को टिकट नहीं तथा सर्वे जैसे फार्मूले तय कर दिए हैं। ऐसे में जो कांग्रेस के नेता अपना टिकट पक्का मान कर चल रहे थे वे भी खौफ में हैं कि कहीं टिकट कट गया तो विकल्प क्या होगा। ऐसे में कांग्रेस के कई बड़े दिग्गज सहमे हुए हैं। कुछ भी हो सकता है। सर्वे के नाम पर कई का पत्ता साफ हो सकता है, भले ही वे अपने को मुख्यमंत्री पद का दावेदार बता रहे हों। कांग्रेस-भाजपा आलाकमान के सर्वे व दूसरे फार्मूले ने कई बड़े नेताओं की हवा सरका रखी है।
ऐसे में पहले बार गंभीरता के साथ मैदान में आ चुकी आम आदमी पार्टी की बल्ले-बल्ले हो सकती है। इसका अभिप्राय अभी उसके सीधे सत्ता में पहुंच जाने से नहीं है, बल्कि इससे है कि उसे कांग्रेस-भाजपा के ठुकराए दिग्गज मिल जाएंगे जिनमें कुछ अपनी सीट को झाड़ू की मदद से निकालने में सक्षम हो सकते हैं। हिमाचल प्रदेश के राजनीति में सर्वे का यह खौफ नेताओं के चेहरों पर साफ दिख रहा है।