प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आस्ट्रेलिया यात्रा को कई लिहाज से बेहद अहम माना जा सकता है। दुनिया भर में भारत की अहमियत को जिस रूप में दर्ज किया जा रहा है, उसमें स्वाभाविक ही आस्ट्रेलिया के साथ कारोबार से लेकर कूटनीति तक कई स्तरों पर परस्पर संबंधों के मजबूत होने की जमीन और पुख्ता हुई है।
इस बीच एक अहम पहलू यह भी रहा कि पिछले कुछ समय से आस्ट्रेलिया में अराजक तत्त्वों की ओर से मंदिरों पर होने वाले हमलों को लेकर लगातार चिंता बढ़ रही थी, उस पर भारत ने सख्त आपत्ति दर्ज की। हालांकि आस्ट्रेलिया का स्थानीय प्रशासन इस मसले पर कानूनी कार्रवाई करता दिखा, लेकिन ऐसी कई घटनाओं से यही लग रहा था कि संभवत: किसी संगठन या समूह की ओर से मंदिरों पर हमलों को सुनियोजित तरीके से अंजाम दिया जा रहा है।
इसी के मद्देनजर प्रधानमंत्री ने आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री के सामने यहां तक कहा कि ऐसी हरकतें बर्दाश्त नहीं की जाएंगी, जिससे आपसी रिश्तों को नुकसान हो। यानी एक तरह से भारत ने इस मसले पर स्पष्ट रुख अख्तियार किया है। शायद यही वजह है कि आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री को इस बात का भरोसा देना पड़ा कि वहां मंदिरों पर हमला करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
गौरतलब है कि आस्ट्रेलिया में पिछले कुछ महीनों के दौरान मंदिरों पर हमले की घटनाओं में तेजी देखी गई। इस क्रम में कई अलग-अलग मंदिरों पर हमले किए गए, तोड़फोड़ की गई, भारत को लक्षित करके आपत्तिजनक नारे लिखे गए। इस तरह की गतिविधियों का आरोप वहां गोपनीय तरीकों से काम करने वाले खालिस्तान समर्थक समूहों पर लगा। लेकिन हैरानी की बात है कि कानून-व्यवस्था और प्रशासन की कसौटी पर बेहतर माने जाने वाले देश में इस तरह की अवांछित गतिविधि को अंजाम देने वाले आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई में कोई बड़ी कामयाबी नहीं मिली।
जबकि आज आधुनिक तकनीकी से लैस सुरक्षा व्यवस्था के दौर में सरेआम अराजक गतिविधियों को अंजाम देकर आसानी से बच निकलना किसी के लिए भी मुश्किल है। हालांकि ऐसे हमलों के बाद आस्ट्रेलिया की ओर से खालिस्तान समर्थकों की आलोचना की गई थी, लेकिन अगर किन्हीं हालात में ऐसी हरकतें करने वाले बचे रहते हैं तो इसमें शासन की उदासीनता या लापरवाही मुख्य कारण होती है।
आस्ट्रेलिया अपने यहां अराजक तत्त्वों को काबू में करने के लिए उठाएगा कदम
इस लिहाज से देखें तो मंदिरों पर हमले के संदर्भ में भारत की ओर से प्रधानमंत्री ने जिस तरह स्पष्ट भाषा में आपत्ति दर्ज की, वह वक्त की जरूरत है। अब उम्मीद की जानी चाहिए कि भारत के साथ परस्पर संबंधों को मजबूत बनाने की अपेक्षा करने के साथ-साथ आस्ट्रेलिया अपने यहां अराजक तत्त्वों को काबू में करने और उनके खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई करने को लेकर शिथिलता नहीं बरतेगा। अगर आस्ट्रेलिया इस मसले पर सकारात्मक रुख दिखाता है तो यह वैसे अन्य मामलों में भी द्विपक्षीय संबंधों को विस्तार देने में मददगार साबित होगा, जिसके तहत दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने एक व्यापक आर्थिक सहयोग समझौते को मजबूत करने और हरित हाइड्रोजन के क्षेत्रों में सहयोग पर ध्यान केंद्रित करने का फैसला किया है।
इस संदर्भ में यह भी अहम है कि आस्ट्रेलिया बंगलुरु में नया महावाणिज्य दूतावास खोलेगा, जिससे दोनों देशों को कारोबार और आधुनिक तकनीकी साझा करने के मामले में मदद मिले। इसके अलावा, जी-20, व्यापार और रक्षा क्षेत्र के साथ-साथ सैन्य सहयोग बढ़ाने को लेकर बातचीत जिस ओर बढ़ी है, उसे बदलते विश्व में एक जरूरत के तौर पर भी देखा जा सकता है।