फिर नसीहत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर पाकिस्तान को नसीहत दी है कि अगर उसे भारत के साथ बातचीत की मेज पर आना है तो पहले आतंकवाद को बढ़ावा देने से खुद को रोकना होगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर पाकिस्तान को नसीहत दी है कि अगर उसे भारत के साथ बातचीत की मेज पर आना है तो पहले आतंकवाद को बढ़ावा देने से खुद को रोकना होगा। वे दुनिया भर के शीर्ष सुरक्षा विशेषज्ञों के तीन दिवसीय सम्मेलन के उद्घाटन अवसर पर बोल रहे थे। प्रधानमंत्री ने जहां भी मौका मिला है, अंतरराष्ट्रीय समुदाय को यह संकेत देने की कोशिश की है कि भारत और पाकिस्तान के बीच मतभेद दूर करने की राह में रोड़ा पाकिस्तान ही अटकाता रहा है। प्रधानमंत्री ने यह भी दोहराया कि उनकी नीति दक्षिण एशिया में शांति और विकास की है। इसी मकसद से उन्होंने अपने शपथ ग्रहण समारोह में सभी सार्क देशों के प्रमुखों को आमंत्रित किया था और वे लाहौर भी गए थे, मगर पाकिस्तान की तरफ से इस दिशा में सहयोग नहीं मिल पा रहा। उड़ी के सेना मुख्यालय पर हुए आतंकी हमले के बाद दोनों देशों के बीच तल्खी काफी बढ़ गई। भारत की तरफ से औंचक हवाई हमला कर पाक अधिकृत कश्मीर में आतंकी ठिकानों को नेस्तनाबूद करने का भी प्रयास किया गया, जिससे पाकिस्तान की बौखलाहट और बढ़ गई।
भारत लगातार मांग करता रहा है कि पाकिस्तान अपने यहां आतंकी संगठनों को पनाह देने, उन्हें मदद मुहैया कराने से बाज आए। मगर पाकिस्तान आतंकवाद को दो चश्मों से देखता रहा है- अच्छा और बुरा। वह उन आतंकी संगठनों और उनके सरगना की तरफ कभी टेढ़ी नजर से नहीं देखता, जो उसकी कश्मीर नीति को आगे बढ़ाने में मदद करते रहे हैं। बुरा आतंकवाद उसके लिए वह है जो पाकिस्तान के लिए खतरा बन सकता है। इसी के चलते पाकिस्तान जैशे-मोहम्मद और लश्करे-तैयबा जैसे संगठनों के नेताओं को न सिर्फ पनाह देता रहा है, बल्कि भारत के विरुद्ध उनकी जहर भरी तकरीरों को भी नजरअंदाज करता रहा है। मुंबई सहित भारत में हुए तमाम आतंकी हमलों से जुड़े सबूतों को वह सिरे से खारिज करता रहा है और उल्टा भारत पर आरोप लगाता रहा है कि वह कश्मीर मसले पर कोई सकारात्मक रुख न अपना कर रिश्तों में सुधार की कोशिश नहीं करता। मगर अब प्रधानमंत्री ने कहा है कि उन्हें बातचीत से गुरेज नहीं, बशर्ते पाकिस्तान आतंकवाद से लड़ने में साथ खड़ा हो।
अनेक मामलों में खुलासा हो चुका है कि पाकिस्तान में आतंकी शिविर चल रहे हैं और वहां से प्रशिक्षण पाकर आतंकी दुनिया भर में तबाही का सबब बन रहे हैं। यह केवल भारत का आरोप नहीं है। दुनिया के बहुत सारे देश पाकिस्तान को इसके लिए चेतावनी दे चुके हैं। मगर पाकिस्तान को अपनी तरक्की से ज्यादा भारत में अस्थिरता पैदा करने की चिंता सताती देखी गई है। उसके इसी रवैए के चलते सार्क देशों का शिखर सम्मेलन रद्द करना पड़ा। बाकी सार्क देशों ने उससे दूरी बना ली है। अब वह अपने पड़ोसियों के बीच एक तरह से अलग-थलग पड़ चुका है। पाकिस्तान की माली हालत किसी से छिपी नहीं है। वहां शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाएं लचर हालत में हैं। उसके यहां पनाह पाए आतंकी समय-समय पर उसे ही जख्म देते रहे हैं। फिर भी पाकिस्तान के हुक्मरान आतंकवाद और धार्मिक कट्टरपंथ के चंगुल से खुद को मुक्त कर तरक्की के रास्ते अख्तियार करने पर विचार नहीं करते। भारत-विरोध और आतंकवाद को उसने जरूरी मुद्दों से अवाम का ध्यान बंटाने का औजार मान लिया है। इस रवैए से उसकी मुश्किलें बढ़ेंगी ही।
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