किसी भी हादसे का मुख्य सबक यह होना चाहिए कि उस तरह की घटना से बचने के लिए हर उपाय किए जाएं, ताकि वैसा दोबारा न हो। मगर आए दिन लगभग समान दिखने वाले हादसों की खबरें आती रहती हैं, उसमें नाहक लोगों की जान जाती है और कई बार एक ही प्रकृति की लापरवाही आम पाई जाती है।

गोवा के एक नाइट क्लब में शनिवार रात जिस तरह आग लगी और उसमें कम से कम पच्चीस लोगों की जान चली गई, उससे फिर यही पता चलता है कि सुरक्षा और व्यवस्था संबंधी जरूरी पक्ष को लेकर लापरवाही के नतीजे क्या हो सकते हैं। आग लगने के वास्तविक कारण जांच के बाद ही सामने आएंगे, मगर किसी भी जगह ऐसे हादसे में जानमाल की क्षति का मुख्य कारण बचाव के पर्याप्त इंतजाम न होने से आग का तेजी से फैलना होता है।

खबरों के मुताबिक, गोवा के उस क्लब में भी आपात स्थिति में बाहर निकलने का रास्ता बेहद संकरा था, जिसमें कई लोग फंस गए। विडंबना यह है कि नाइट क्लब या ज्यादा लोगों के जमावड़े वाली जगहों पर चकाचौंध पैदा करने के लिए भारी खर्च किए जाते हैं, लेकिन आपात स्थिति में बचाव को लेकर अमूमन सभी जरूरी पहलुओं को लेकर घोर लापरवाही बरती जाती है।

किसी भी हादसे की स्थिति में सबसे बुनियादी और प्राथमिक जरूरत बचाव का उपाय होती है। मगर जानमाल के व्यापक नुकसान की लगभग सभी घटनाओं में कारण के तौर पर एक विचित्र तरह की समानता पाई जाती है कि वहां अग्नि शमन की व्यवस्था या तो नहीं थी या फिर वह काम नहीं कर रही थी।

निश्चित तौर पर यह संबंधित भवन के मालिक और प्रबंधन की लापरवाही होती है, लेकिन अक्सर लोगों के जमा होने की जगहों पर आग लगने की स्थिति में बचाव इंतजामों की जांच करने के मामले में सरकार या संबंधित महकमों की जिम्मेदारी क्या होती है?

गोवा को एक अहम पर्यटक स्थल और अपेक्षया एक सुरक्षित जगह के रूप में देखा जाता रहा है। मगर नाइट क्लब में आग लगने से जिस तरह पच्चीस लोगों की जान चली गई, उसके बाद वहां के जोखिम को लेकर भी अब सवाल उठने लगे हैं। इस हादसे के बाद गोवा के बाकी क्लबों में भी अग्नि शमन, सुरक्षा और बचाव के उपायों की स्थिति की जांच की मांग की जा रही है।

सवाल है कि आग लगने की स्थिति में बचाव या सुरक्षा का इंतजाम एक अनिवार्य व्यवस्था क्यों नहीं होनी चाहिए, जिसमें मामूली लापरवाही की भी गुंजाइश न हो! अव्वल तो समूचा ढांचा ऐसा तैयार होना चाहिए, जिसमें कोई सामान्य तकनीकी गड़बड़ी बड़े हादसे में तब्दील न हो। दूसरे, किसी भी वजह से आग लगने की आशंका के मद्देनजर हर स्तर पर बचाव के ऐसे पुख्ता इंतजाम किए जाएं, ताकि उस पर तुरंत काबू पाया जा सके।

यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि सभी इमारतों तक अग्नि शमन सेवा के वाहनों की आसान पहुंच हो। कई बार आग व्यापक तबाही का कारण इसलिए बनती है कि उस पर काबू पाने के उपाय अपर्याप्त होते हैं, लोगों के बाहर भागने और अग्नि शमन वाहनों के घटनास्थल पहुंचने का रास्ता संकरा या बाधित होता है।

हादसे और उसमें लोगों की मौत के बाद सरकार तथा प्रशासन की ओर से कुछ लोगों के खिलाफ कार्रवाई और हताहतों या उनके परिजनों के लिए मुआवजे की घोषणा की औपचारिकता जरूर पूरी की जाती है, लेकिन नियम-कायदों पर अमल को लेकर अगर प्रशासनिक सक्रियता सामान्य दिनों में भी कायम रहे तो शायद कई त्रासदियों से बचा जा सकता है।