मंगल का रहस्य
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का अंतरिक्ष यान पर्सवियरेंस मंगल ग्रह की धरती पर सुरक्षित उतर गया।

यह वहां के अंतरिक्ष वैज्ञानिकों का बहुत महत्त्वाकांक्षी अभियान है। स्वाभाविक ही उसके सुरक्षित उतरने से वैज्ञानिकों में खुशी और उत्साह है। इसमें भारत के लिए गौरव की बात यह है कि इस अभियान में भारतीय मूल की एक वैज्ञानिक भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। यह अमेरिका का नौवां मंगल अभियान है। अब तक के उसके अभियानों में करीब आधे विफल रहे हैं।
उन सबके अनुभवों के आधार पर इस यान को अधिक सुरक्षित और कुछ विशेष सुविधाओं से लैस किया गया है। यह न सिर्फ मंगल की तस्वीरें भेजेगा, बल्कि वहां की मिट्टी, चट्टानें आदि भी अपने साथ लाएगा, जिसके अध्ययन से पता लगाने में मदद मिलेगी कि वास्तव में वहां कभी जीवन था भी या नहीं। अभी तक मंगल ग्रह की तस्वीरों को देख कर सिर्फ अनुमान लगाया जा सका है कि वहां अरबों साल पहले जीवन रहा होगा। उसकी सतह पर बनी खाइयों और स्रोतों से अंदाजा लगता है कि कभी जल स्रोत भी रहे होंगे। इसलिए पर्सवियरेंस का वहां उतरना मंगल ग्रह संबंधी अध्ययनों में बहुत मददगार साबित हो सकता है।
पृथ्वी से बाहर की दुनिया के बारे में जानना मनुष्य के लिए सदा से जिज्ञासा का विषय रहा है। सतत अंतरिक्ष अध्ययनों से सौरमंडल के ग्रहों के बारे में काफी कुछ जानकारी प्राप्त की जा चुकी है। मगर उनमें से कहीं भी जीवन की संभावना नजर नहीं आई है। कुछ साल पहले जब मंगल ग्रह पर जल स्रोतों जैसी तस्वीरें सामने आर्इं, तो वैज्ञानिकों की खोज की दिशा बदल गई।
भरोसा पैदा हुआ कि अगर कभी वहां जल रहा होगा, तो जीवन भी जरूर रहा होगा। वह जीवन कैसा था, वहां किस प्रकार के जीव-जंतु, वनस्पतियां अदि पाई जाती थीं। फिर वहां जीवन समाप्त हो गया, तो उसकी वजह क्या थी। उन सब तथ्यों के बारे में पता लगाने को लेकर वैज्ञानिक उत्सुक हुए। इसी के चलते विभिन्न देशों ने अपना ध्यान चंद्र अभियान की अपेक्षा मंगल अभियान की तरफ केंद्रित करना शुरू कर दिया।
भारत ने भी मंगल मिशन शुरू किया था, पर उसमें अपेक्षित कामयाबी नहीं मिल पाई। अंतरिक्ष का अध्ययन कई कारणों से महत्त्वपूर्ण माना जाता है। चूंकि पृथ्वी भी सौरमंडल की एक इकाई है, जब दूसरे ग्रहों पर कोई हलचल होती है, तो उसका प्रभाव इस पर भी पड़ता है। चूंकि जीवन सिर्फ पृथ्वी पर है, इसलिए मानव जीवन की सुरक्षाा की दृष्टि से भी अंतचरिक्ष के दूसरे ग्रहों पर चल रही हलचलों पर नजर रखना बहुत जरूरी होता है।
मंगल ग्रह पर अगर जीवन के प्रमाण मिलते हैं, तो आगे यह पता लगाने में भी मदद मिल सकती है कि वहां किन स्थितियों के चलते जीवन समाप्त हो गया। ग्रहों की स्थितियों के बारे में जानना केवल ज्योतिष विज्ञान का विषय नहीं है। यह वैज्ञानिक तथ्य है कि जब दूसरे ग्रहों की स्थिति में बदलाव होता है, तो मनुष्य के जीवन पर भी उसका प्रभाव पड़ता है, पृथ्वी की जलवायु, वनस्पतियों, सूक्ष्म जीवों के स्वभाव में भी बदलाव नजर आने लगता है। यह भी तथ्य है कि तमाम ग्रहों की स्थिति में निरंतर कुछ न कुछ बदलाव होता रहता है। सूर्य सहित सारे ग्रह कुछ न कुछ क्षरित भी हो रहे हैं। इसलिए अंतरिक्ष अध्ययनों में सफलता चाहे जिस देश के वैज्ञानिकों को मिले, उससे पूरी मानव जाति के लिए भविष्य का रास्ता मिलता है।