संपादकीय: कोरोना का टीका
जितनी जल्दी टीका आएगा, उतना ही हम महामारी से अपने को बचा पाने में सक्षम हो पाएंगे। संकट की गंभीरता को देखते हुए भारत ने टीका बनाने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ाए हैं, देश में कई जगह टीकों के परीक्षण चल रहे हैं और सुखद संकेत तो ये हैं कि ज्यादातर मामलों में परीक्षण सफल रहे हैं।

यह खबर निश्चित ही राहत देने वाली है कि अगले साल जुलाई तक देश के पच्चीस करोड़ लोगों को कोरोना का टीका मिल जाएगा। अभी तक तो यह सिर्फ उम्मीद ही व्यक्त की जा रही थी कि अगले साल के मध्य तक टीका आ सकता है, लेकिन अब देश के स्वास्थ्य मंत्री ने बाकायदा इसका एलान किया है।
इससे अब लोगों में इतना भरोसा तो बनेगा कि जल्दी ही कोरोना का टीका आने वाला है और हम महामारी को काबू कर सकेंगे। भारत में कोरोना से अब तक एक लाख लोग मारे जा चुके हैं और संक्रमितों का आंकड़ा छियासठ लाख के पार निकल चुका है। हालांकि अब संक्रमितों के सुधार की दर बढ़ रही है और संक्रमण से होने वाली मौतों की दर में भी कमी आ रही है, फिर भी खतरा बढ़ने का अंदेशा ज्यादा है क्योंकि चरणबद्ध तरीके से पूर्णबंदी हटा लिए जाने के बाद लोगों की आवाजाही जोर पकड़ने लगी है।
इससे संक्रमण फैलने का जोखिम बढ़ रहा है। ऐसे में जितनी जल्दी टीका आएगा, उतना ही हम महामारी से अपने को बचा पाने में सक्षम हो पाएंगे। संकट की गंभीरता को देखते हुए भारत ने टीका बनाने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ाए हैं, देश में कई जगह टीकों के परीक्षण चल रहे हैं और सुखद संकेत तो ये हैं कि ज्यादातर मामलों में परीक्षण सफल रहे हैं। इसलिए जुलाई तक टीका आ जाने को लेकर अब कोई संशय बाकी नहीं रहना चाहिए।
टीका तैयार करना जितना जटिल और चुनौतीभरा काम है, उससे कहीं ज्यादा कठिन उसे जरूरतमंदों तक पहुंचाना है। इसमें कोई संदेह नहीं कि टीके की जरूरत सबको है, पर यह भी संभव नहीं है कि एक साथ इतने टीके आ जाएं कि पूरे देश के लोगों को लगा दिए जाएं। हालांकि नीति आयोग की एक उच्चस्तरीय समिति टीके के उत्पादन, रखरखाव, आपूर्ति, वितरण और प्राथमिकता से संबंधित सारे बंदोबस्त देखेगी और इसके लिए अभी से व्यापक स्तर पर तैयारियां शुरू कर दी गई हैं।
राज्यों से टीकाकरण की प्राथमिकता तय करने को कहा गया है। जिन राज्यों में हालात ज्यादा गंभीर हैं, वहां टीकाकरण का अभियान भी तेज रखना होगा। अभी तक का अनुभव यह बता रहा है कि कोरोना महामारी से सबसे ज्यादा अस्पतालकर्मियों और पुलिस बल को जूझना पड़ा है।
अस्पतालों में डॉक्टरों, नर्सों व अन्य कर्मियों के संक्रमित होने के मामले तेजी से बढ़े हैं और अब तक करीब चार सौ डॉक्टर कोरोना संक्रमण से मारे जा चुके हैं। पुलिस बल को भी जिस तरह के मुश्किल हालात में काम करना पड़ा है, उसी का नतीजा रहा कि बड़ी संख्या में पुलिस के जवान भी संक्रमण शिकार हुए। ऐसे में सबसे पहले टीका उन लोगों को लगेगा जो कोरोना योद्धा के रूप में मोर्चे पर डटे हैं और लोगों की जान बचा रहे हैं। अगर अस्पतालकर्मी ही संक्रमित होते रहेंगे तो लोगों को कौन बचाएगा!
टीके की मांग और आपूर्ति में लंबे समय तक भारी अंतर बना रहेगा, क्योंकि इसके उत्पादन में अभी वक्त लगेगा। अभी यह साफ नहीं है कि कौन-सी कंपनी कितना उत्पादन कर जरूरत पूरी कर पाएगी। जिन राज्यों में संक्रमण की मार पहले ही से ज्यादा है और जहां अब महामारी फैलने का खतरा कई गुना बढ़ रहा है, वहां लोगों को इसकी ज्यादा जरूरत है।
कहने को देश के कुछ राज्यों में सामुदायिक संक्रमण के हालात हैं। ऐसे में टीके की जरूरत कहां और किसको पहले होगी, तय कर पाना मुश्किल है। आज जिन कठिन परिस्थितियों में भारत टीके की पहुंच के करीब है, उससे इतनी उम्मीद तो बंधती है कि हम जल्द ही इस संकट से भी उबर जाएंगे।
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