यह सरकार के इस कार्यकाल का अंतिम पूर्ण बजट है, इसलिए माना जा रहा था कि आगामी आम चुनावों के मद्देनजर इसमें कुछ राहतकारी घोषणाएं अवश्य होंगी। दरअसल, हर सरकार अपने अंतिम पूर्ण बजट में ऐसा करती आई हैं। दूसरे, पिछले दो सालों से लगातार अर्थव्यवस्था की स्थिति कमजोर बनी रहने की वजह से रोजगार, व्यापार, वाणिज्य के क्षेत्र में सुस्ती का आलम था।
अब जब अर्थव्यवस्था कुछ पटरी पर लौटने लगी है, तब बेहतरी के उपायों को लेकर उम्मीद बनी हुई थी। ताजा बजट में इन तमाम पहलुओं पर संतुलन साधने का प्रयास किया है। इस बजट की सात प्राथमिकताएं तय की गई है- समग्र विकास, अंतिम पड़ाव तक पहुंचना, आधारभूत ढांचा निवेश, क्षमता को उजागर करना, हरित विकास, युवा और वित्तीय क्षेत्र। इस वित्त वर्ष में विकास दर सात फीसद रहने का अनुमान है।
इसलिए सरकार उत्साहित है कि बजट में तय प्राथमिकताओं को पूरा करने में उसे सफलता मिलेगी। कुछ योजनाएं, जो पहले से चली आ रही हैं, उनमें निवेश बढ़ाने का प्रावधान किया गया है। प्रधानमंत्री आवास योजना को और विस्तार दिया जाएगा। कुछ नई भविष्य की योजनाओं के लिए बजटीय प्रावधान किए गए हैं, जिनमें राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन भी शामिल है। इसकी घोषणा कुछ दिनों पहले की गई थी। अब उसके लिए बजटीय प्रावधान कर दिया गया है। इससे कार्बन उत्सर्जन में काफी कमी आने की उम्मीद की जा रही है।
सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती रोजगार के नए अवसर पैदा करना और महंगाई पर काबू पाना है। कोरोना काल में जब महानगरों से पलायन शुरू हुआ और बहुत सारे रोजी-रोजगार के अवसर खत्म हो गए, तब तमाम विशेषज्ञ इस बात पर जोर दे रहे थे कि ग्रामीण और कृषि क्षेत्र में रोजगार के अवसरों का सृजन किया जाना चाहिए।
इस दिशा में प्रयास हुए भी हैं, पर कृषि आधारित उद्यमों को अपेक्षित बढ़ावा नहीं मिल पाया है। इसी के मद्देनजर सरकार ने इस बजट में कृषि से जुड़े स्टार्टअप को प्राथमिकता सूची में रखा है। शहरी क्षेत्रों में स्टार्टअप से बहुत सारे उद्यमियों को अपना काम शुरू करने का मौका मिला था। उसके उत्साहजनक नतीजों से ही सरकार को अब कृषि क्षेत्र में स्टार्टअप शुरू करने का साहस बना है।
निश्चय ही, इससे न सिर्फ किसानों और कृषि क्षेत्र की स्थिति सुधरेगी, बल्कि बहुत सारे युवाओं को स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर उपलब्ध हो सकेंगे। इस बजट में खाद्यान्न और बंदरगाहों को जोड़ने पर विशेष ध्यान दिया गया है। पचास अतिरिक्त हवाई अड्डों, हेलिपैड, वाटर एयरोड्रोम का नवीकरण किया जाएगा, ताकि क्षेत्रीय संपर्क को बढ़ावा दिया जा सके।
हर साल बजट पर सबसे अधिक नजर वेतनभोगी लोगों की रहती है कि उन्हें आयकर में कोई राहत मिल रही है या नहीं। साथ ही यह भी कि किन वस्तुओं की कीमतें कम होने की उम्मीद है। इस अर्थ में यह बजट अधिक राहतकारी साबित होगा। पहले पांच लाख रुपए तक की सालाना आमदनी करमुक्त थी। अब इसे बढ़ा कर सात लाख रुपए तक कर दिया गया है। यह काफी बड़ा अंतर है।
जाहिर है, इससे लोगों की कुछ बचत बढ़ेगी और निवेश के प्रति उनका उत्साह बनेगा। इस बजट में कर ढांचे में बदलाव की वजह से इलेक्ट्रानिक उपकरणों की कीमतों में कमी आने का अनुमान है। जिस तरह इन उपकरणों पर लोगों की निर्भरता बढ़ती जा रही है और सरकार का जोर ग्रामीण क्षेत्रों तक संचार सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने पर है, इनकी कीमतें घटने से लोगों को राहत मिलेगी।
रेलवे के विस्तार और सुदृढ़ीकरण के लिए कई बड़े बजटीय प्रावधान किए गए हैं। सरकार का कहना है कि दस साल पहले के बजट की तुलना में इस बार नौ गुना अधिक धन का आबंटन किया गया है। इस तरह सरकार ने सभी क्षेत्रों और वर्गों के हितों का ध्यान रखते हुए बजटीय संतुलन साधने का प्रयास किया है।