आधुनिक तकनीकी के विस्तार के साथ अब इसमें कोई दो राय नहीं है कि आने वाले वक्त में कामकाज से लेकर बहुत सारी दूसरे क्षेत्रों में डिजिटल निर्भरता बढ़ने वाली है। खासतौर पर सूचना और संचार के संदर्भ में इंटरनेट तक लोगों की बढ़ती पहुंच ने दुनिया के दायरे को छोटा बनाया है और इसी मुताबिक विचारों की अभिव्यक्ति के नए फलक भी खोले हैं।
सोशल मीडिया के अलग-अलग मंच और उनके उपयोगकर्ताओं की तादाद में लगातार बढ़ोतरी से यह पता चलता है कि ज्ञान अर्जित करने से लेकर विचारों को जाहिर करने तक के लिए नए दरवाजे तो खुले हैं, मगर इसके साथ ही कई स्तरों पर जिम्मेदारी की भी जरूरत महसूस की जाने लगी है। दरअसल, सोशल मीडिया के मंचों ने अपने उपयोगकर्ताओं को अपने विचार जाहिर करने से लेकर अन्य गतिविधियों के लिए जगह तो मुहैया कराई है।
लेकिन किसी अवांछित परिस्थिति के पैदा होने पर इसके लिए जिम्मेदारियों के निर्धारण की प्रक्रिया अब तक ठोस शक्ल नहीं ले सकी है। निश्चित तौर पर कुछ उपयोगकर्ता इसका बेजा इस्तेमाल करते हैं और ऐसे लोगों के खिलाफ शिकायत आने पर संबंधित सोशल मीडिया के नियंत्रक अपने स्तर पर निपटते भी हैं। लेकिन अगर शिकायत के कठघरे में खुद कोई सोशल मीडिया का मंच हो, तो ऐसी समस्या के हल के लिए भी एक तंत्र की जरूरत महसूस की जाती रही है।
इसी के मद्देनजर मंगलवार को सरकार की ओर से एक शिकायत अपीलीय समिति की शुरुआत की गई, जो सोशल मीडिया मंचों के फैसलों के खिलाफ उपयोगकर्ताओं की अपीलों पर गौर करेगी। उम्मीद की जा रही है कि इस समिति के जरिए उपयोगकर्ताओं के प्रति डिजिटल मंचों की जवाबदेही सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी।
यह एक ऐसी आनलाइन समाधान प्रणाली है, जिसमें मेटा यानी फेसबुक या ट्विटर जैसे मध्यस्थ मंचों के शिकायत अधिकारी के फैसले से पीड़ित कोई उपयोगकर्ता इससे संबंधित शिकायत दर्ज करा सकता है। सरकार की ओर से इसका मकसद यह बताया गया है कि शिकायत समाधान प्रणाली लोगों के प्रति जवाबदेह हो।
यह सही है कि सोशल मीडिया के मंचों पर किसी फर्जी नाम वाले खाते से या फिर इसी तरह के अन्य स्रोतों का सहारा लेकर कई बार अवांछित हरकतें या गतिविधियां की जाती हैं। अगर इसके खिलाफ संबंधित मंचों के कार्यालयों में शिकायत भेजी जाती है तो वहां से जरूरी कार्रवाई होती है। लेकिन ऐसा भी देखा गया है कि कई बार सोशल मीडिया का कोई मंच खुद मनमाने फैसले लेने के आरोपों के कठघरे में खड़ा होता है। ऐसी स्थिति में अब उपयोगकर्ता के पास एक तंत्र है, जहां वह किसी सोशल मीडिया मंच के फैसले पर शिकायत दर्ज करा सकता है।
डिजिटल दुनिया में एक ओर जहां बेहद उपयोगी विचार, बहसें और अन्य सामग्रियों से लोग रूबरू हो रहे हैं, वहीं इसकी उपयोगिता का फायदा उठाने वाले कुछ लोगों की वजह से बहुस्तरीय परेशानियां भी खड़ी हो रही हैं। दूसरी ओर, इंटरनेट मध्यवर्ती कंपनियों की ओर से भी बड़ी संख्या में उपयोगकर्ताओं की शिकायतों को अनसुना किए जाने या फिर असंतोषजनक समाधान देने के मामले भी सामने आ रहे थे।
जाहिर है, ऐसे में जिस इंटरनेट को ज्ञान और सुविधा के नए आकाश के तौर पर देखा जाता है, उसमें यह एक तरह से बाधक तत्त्व के रूप में काम करता है। इसलिए इंटरनेट को मुक्त, सुरक्षित, विश्वसनीय और जवाबदेह बनाने के मकसद से की गई ताजा पहल बेहद अहम है। मगर यह भी ध्यान रखने की जरूरत होगी कि कोई भी नई व्यवस्था नागरिकों की अभिव्यक्ति और स्वतंत्रता के समांतर उन पर निगरानी और अंकुश का जरिया न बने।