कुछ दिनों पहले उनके जेल में तेल मालिश कराते देखे जाने पर विवाद उठ खड़ा हुआ कि आखिर जेल में उन्हें ऐसी सुविधाएं कैसे मुहैया कराई जा रही हैं। तब आम आदमी पार्टी ने सफाई में कहा था कि दरअसल जैन का इलाज चल रहा है, जिसकी तस्वीर को गलत तरीके से पेश किया जा रहा है। मगर अब दिल्ली सरकार के गृह, कानून और सतर्कता विभाग के प्रमुख सचिवों ने अपनी जांच के बाद रिपोर्ट दी है कि सत्येंद्र जैन जेल में रहते हुए न केवल घर जैसी सुविधाओं का लाभ उठा रहे थे, बल्कि उसी कमरे में धनशोधन मामले से जुड़े अन्य आरोपियों से मिलते रहे।
वहां उनके परिजन भी मिलने आते रहे। जाहिर है कि सत्येंद्र जैन अपने मंत्री होने का नाजायज फायदा उठाते रहे। हालांकि जेल में बंद सभी कैदियों के लिए एक जैसे नियम-कायदे नहीं होते। आरोपियों के लिए कुछ छूट होती है, उन्हें दोष सिद्ध कैदियों की तरह रखा भी नहीं जाता। मगर इसका अर्थ यह नहीं है कि आरोपी होने का लाभ लेकर कोई कैदखाने का अर्थ ही भुला बैठे।
इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता कि सत्येंद्र जैन के मंत्री होने की वजह से वहां के कुछ कैदी उनकी खुशामद करने का प्रयास करते होंगे। उन्हें भरोसा होगा कि जैन एक न एक दिन जेल से बाहर निकलेंगे ही और उनकी सेवा के बदले वे अपने राजनीतिक प्रभाव से उन्हें कुछ लाभ पहुंचा देंगे। ऐसा हर जेल में देखा जाता है कि कुछ कैदी दबंगों और राजनेताओं की सेवा-टहल में लग जाते हैं। मगर सत्येंद्र जैन के मामले में ऐसा नहीं था। खुद जेल प्रशासन ने दबाव बना कर उनकी सेवा में कुछ कैदियों को नियुक्त कर दिया था।
तेल मालिश करते जिस व्यक्ति की तस्वीर सामने आई, उसने कबूल किया है कि उस पर दबाव डाल कर जैन की मालिश करने को कहा गया था। जांच समिति ने तत्कालीन जेल महानिदेशक की इस मामले में मिलीभगत का उल्लेख करते हुए उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने की सिफारिश की है। हालांकि ठग सुकेश चंद्रशेखर के रिश्वत मांगने वाले लिखित बयान के बाद उन्हें पहले ही निलंबित किया जा चुका है।
हालांकि किसी राजनेता या मंत्री के जेल में बंद रहते इस तरह जेल नियमों को धता बता कर घर जैसे वातावरण में रहने की छूट लेने की यह पहली घटना नहीं है। उत्तर प्रदेश और बिहार की जेलों में बंद दबंगों और राजनेताओं के जन्मदिन पर जेल में जश्न मनाने और उन्हें हर तरह की सुविधाएं उपलब्ध कराने, यहां तक कि जेल से बाहर निकल कर घूम आने तक के उदाहरण हैं।
पटना उच्च न्यायालय ने तो ऐसी घटनाओं पर बहुत कठोर टिप्पणी की थी। मगर सत्येंद्र जैन का ताल्लुक ऐसी राजनीतिक पार्टी से है, जो आचरण की शुचिता की दुहाई देते नहीं थकती। वह दावा करती फिरती है कि उसके नेता किसी भी रूप में अपनी ताकत का बेजा इस्तेमाल नहीं करते। फिर सत्येंद्र जैन कैसे उन सिद्धांतों को भुला बैठे। उन पर आरोप सही है या गलत, यह तो अदालत में सिद्ध होगा, मगर वे खुद को जेल में रहते हुए मुक्त कैसे मान सकते हैं। यह उनके अपने सरकारी रुतबे का दुरुपयोग नहीं तो और क्या है?