हालांकि बाद में उन मामलों पर अलग-अलग दावे सामने आए। लेकिन अब भारत में ही बनी एक अन्य दवा की वजह से अमेरिका में कई लोगों की आंखों की रोशनी चले जाने और एक व्यक्ति की मौत की खबर आई है।
अमेरिका में ‘सेंटर फार डिजीज कंट्रोल ऐंड प्रिवेंशन’ यानी सीडीसी के मुताबिक इस दवा की वजह से संक्रमण के प्रकोप में बारह राज्यों के कम से कम पचपन लोग बीमार हो गए। कुछ ही अंतराल पर ऐसी खबरें कई स्तर पर चिंता पैदा करती हैं। किसी दवा की वजह से सामने आए दुष्परिणाम की अगर इक्का-दुक्का ऐसी घटनाएं होती हैं, तो उसे प्रभावित व्यक्ति में एलर्जी मान कर इलाज किया जाता है।
लेकिन अगर इतनी बड़ी संख्या में लोगों को एक ही तरह की प्रतिक्रिया का सामना करना पड़ रहा है, तो निश्चित रूप से यह दवा में मौजूद किसी तत्त्व का दुष्परिणाम हो सकता है, जिसकी जांच-परख किए बिना उसे बेचने और इस्तेमाल करने की इजाजत दे दी गई।
फिलहाल इस दवा को खरीदने और उपयोग न करने की सलाह दी गई है। संबंधित दवा कंपनी ने इसका उत्पादन रोक दिया है। मगर इससे एक बार फिर यह सवाल उठा है कि जो दवाएं किसी बीमारी या परेशानी से बचाव या उसका इलाज करने के लिए बनाई जाती हैं, वही लोगों के भीतर नया रोग पैदा करने से लेकर मौत तक की वजह कैसे बन जाती हैं! किसी भी स्थिति में दवा के दुष्परिणाम की वजह से मरीज की जिंदगी खतरे में पड़ती है या उसके रोग का इलाज ज्यादा जटिल हो जाता है तो यह विडंबना ही है।
दवा बनाने वाली हर कंपनी अपनी दवाओं के असर और उनकी लाभकारी उपयोगिता के बारे में काफी बढ़-चढ़ कर दावे करती हैं। दवाओं के बारे में पेश की गई सूचनाओं में उसे हर कसौटी पर गुणवत्ता से लैस बताती हैं। लेकिन अगर उन दवाओं के इस्तेमाल से शरीर में कोई नुकसान होने के अलावा मौत तक का खतरा पैदा हो जाता है तो इसकी क्या वजह है!
किसी भी दवा के निर्माण के बाद उसे खुले बाजार में भेजने से पहले उसका हर स्तर पर सुरक्षित होना सुनिश्चित किया जाता है। यह पहलू हर कंपनी अपने प्रतिनिधियों के जरिए जोर देकर बताती रहती है। फिर ऐसी दवाएं कई लोगों के लिए त्रासदी की वजह कैसे बन जाती हैं? हैरानी की बात यह भी है कि अमेरिका में जिस दवा के उपयोग से लोगों की आंखों की रोशनी चली गई, वह अमेरिका के बाजार में तो भेजा जाता है, मगर भारत में इसकी बिक्री नहीं की जाती है!
वहीं कई बार ऐसी दवाएं भी भारत में आसानी से मिलने और उनके उपयोग की खबरें आती रहती हैं, जिन पर किसी दूसरे देश में पाबंदी होती है। अगर कोई एक दवा एक जगह नुकसान या खतरे की वजह बन सकती है तो वही किसी अन्य स्थान पर पूरी तरह सुरक्षित कैसे मान ली जाती है? अगर सरकार के पास बाकायदा औषधि की गुणवत्ता की जांच-परख और निगरानी आदि के लिए केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन जैसा चौकस तंत्र है तो वह दवाओं की गुणवत्ता पर निगरानी को लेकर क्या करता है! किसी कंपनी को दवा बनाने और उसे बेचने की इजाजत देने के लिए जांच प्रक्रिया आदि को लेकर क्या मानक अपनाए जाते हैं?