लंबे इंतजार के बाद जब पंद्रह से अठारह वर्ष की आयु के किशोरों के लिए टीकाकरण अभियान शुरू हुआ तो स्वाभाविक ही इसे लेकर उत्साह दिखा। पहले ही दिन चालीस लाख से अधिक किशोरों ने टीका लगवाया। दरअसल, टीके की उपलब्धता और किशोरों पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों आदि के मद्देनजर सरकार ने इस दिशा में कोई कदम बढ़ाने से खुद को रोक रखा था। अब वे दुविधाएं दूर हो चुकी हैं। हमारे देश में किशोरों की खासी बड़ी आबादी है। उनका टीकाकरण न हो पाने की वजह से स्कूल-कालेज खोलने को लेकर भी रुकावट पैदा हो रही थी। अभिभावक इस बात से सशंकित थे कि बच्चों को स्कूल भेजें, तो संक्रमण का खतरा बना रहेगा।
ऐसा कई जगहों पर हुआ भी, जब स्कूल-कालेज खोले गए और बच्चे वहां गए, तो बड़ी संख्या में संक्रमित हो गए। फिर स्कूल बंद करने पड़े। पिछले दो साल से स्कूल-कालेज बंद रखने या आंशिक रूप से खोलने का नतीजा यह हुआ है कि बच्चों के सीखने की क्षमता पर बुरा प्रभाव पड़ा है। खासकर बोर्ड परीक्षाओं को लेकर फैसला करने में अड़चन आ रही थी। पिछले साल तो बोर्ड परीक्षाएं रद्द ही कर देनी पड़ी थीं। इस साल फिर से बोर्ड परीक्षाओं का समय नजदीक आ रहा है। ऐसे में टीकाकरण अभियान शुरू होने से बच्चे, अभिभावक, स्कूल और बोर्ड परीक्षा संचालित कराने वाली संस्था तक संक्रमण से सुरक्षा को लेकर कुछ आश्वस्त हो सकेंगे।
किशोरों के लिए शुरू हुए टीकाकरण अभियान में एक अच्छी बात यह भी है कि उनके लिए अलग से केंद्र बनाए गए हैं और स्कूलों में भी इसकी सुविधा उपलब्ध करा दी गई है। किशोरों को आगामी बोर्ड परीक्षा को लेकर चिंता है। वे चाहते हैं कि परीक्षाएं शुरू होने से पहले दोनों खुराक ले लें, ताकि प्रतिरोधक क्षमता बढ़े और वे संक्रमण से बच सकें। इसलिए भी किशोरों में टीकाकरण को लेकर उत्साह देखा जा रहा है। शुरू में जब टीकाकरण अभियान चला था, तो इसे लेकर तरह-तरह की आशंकाएं जताई गई थीं, जिसके चलते बहुत सारे लोगों के मन में हिचक बनी हुई थी। मगर कोरोना की दूसरी लहर में देखा गया कि जिन लोगों ने टीका लगवाया था, उन पर कोरोना का असर घातक नहीं रहा। इससे भी लोगों में टीकों को लेकर विश्वास पैदा हो गया था। इसलिए भी बहुत सारे अभिभावकों की मांग थी कि किशोरों के लिए भी टीकाकरण अभियान जल्दी शुरू किया जाए।
एक बार फिर से कोरोना के मामले बढ़ने शुरू हो गए हैं और ओमीक्रान नामक नया बहुरूप भी तेजी से पांव पसार रहा है। कुछ विशेषज्ञ इसे तीसरी लहर मान रहे हैं। आशंका जताई जा रही है कि आने वाले दिनों में मामले और तेजी से बढ़ेंगे। पहली लहर में देखा गया था कि बच्चों और किशोरों पर कोरोना का बहुत असर नहीं हुआ था। मगर दूसरी लहर में वे भी भारी संख्या में चपेट में आए थे। इसलिए भी तीसरी लहर को लेकर एक भय का माहौल है। कोरोना का विषाणु जिस तरह अपना रूप बदल रहा है, उसमें उसके असर को लेकर कोई दावा करना आसान नहीं रह गया है। इसलिए जैसे ही किशोरों के लिए टीकाकरण अभियान शुरू हुआ, वे पूरे उत्साह से टीकाकरण के लिए पंजीकरण करा रहे हैं। यह एक अच्छा संकेत है। अब सरकार से उम्मीद की जाती है कि वह टीके की उपलब्धता बनाए रखने में किसी प्रकार की शिकायत नहीं आने देगी।