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बातचीत की संजीवनी

कितनी भी निराशा या तनाव क्यों न हो, जैसे ही हम बात करना शुरू करते हैं, मानो कोई समंदर एकाएक शांत होने लगता है।

Happy talk
प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर। ( फोटो-इंडियन एक्‍सप्रेस)।

हरीश चंद्र पांडे

हम जब कभी कुछ शानदार विचार या काम करते हैं, तब हम उस बात को कहीं न कहीं साझा करना चाहते हैं। जब किसी अंतरंग मित्र से बात कहने का अवसर मिल जाता है तो उस समय हमारी जुबान ही नहीं, बल्कि आंख, हाथ, चेहरा, हमारा संपूर्ण शरीर वह बात कहने लगता है। तब मन-मस्तिष्क अत्यंत आनंद की अवस्था में आ जाते हैं।

इस तरह के शोध दुनिया भर मे हो रहे हैं कि गंभीर बीमारी से ग्रस्त मरीज भी हर दिन कुछ मिनट अपने मन की गपशप करके रोगमुक्त हो रहे हैं। मनोवैज्ञानिक कहते हैं कि किसी प्रिय से गपशप के दौरान हमारे मन और आत्मा के बीच लयात्मक संबंध बनता है। इसलिए किसी ने कहा है कि खुद के स्वभाव को पाना है तो जरा-सी देर गुफ्तगू बहुत जरूरी है। यह एक ऐसा विकल्प है जो बाकी चीजों के मुकाबले काफी सरल है और इसके बडे-बड़े फायदे हैं।

दरअसल, नियमित रूप से सकारात्मक बातचीत करने से आत्मविश्वास बढ़ता जाता है। यह आत्मविश्वास मानसिक शांति की अनुभूति कराता है। मानसिक शांति से शरीर स्वस्थ अनुभव करता है। किसी एक विषय पर अच्छी बातों के जरिए हमारी ऊर्जा भी केंद्रित होती है और आत्मिक बल मिलता है। फिर अनुकूल मित्र से गपशप हमारी सूझबूझ को बढ़ाता है और आश्चर्यजनक तरीके से निर्णय लेने की क्षमता का विकास होता है।

लोगों ने तो यह भी महसूस किया है कि दिन में एक बार अपने प्रिय मित्र से बातचीत करते हुए सभी तरह की शिकायत और शोक तक मिट जाते हैं। इसका कारण यह है कि बातचीत से हमारा तन, मन और मस्तिष्क पूरी तरह शांति, स्वास्थ्य और प्रसन्नता का अनुभव करता है।

हर समय निराशा होती हो तो इसको एक तरह से बीमारी कहते हैं और यह निराशा अनेक तरह के बदन दर्द और रक्तचाप को भी पैदा करती है। यानी निराशा की उत्पत्ति मन, मस्तिष्क और शरीर के किसी हिस्से में होती है और हल्की बातचीत उसी हिस्से को स्वस्थ कर देती है। अच्छी और प्रेरक बातें मन और मस्तिष्क को भरपूर ऊर्जा और सकारात्मकता से भर देती है। शरीर भी स्थिर हो जाता है और रोग से लड़ने की क्षमता प्राप्त करने लगता है। चिंता और चिंतन से उपजे रोगों का खात्मा होने लगता है। मन नकारात्मक सोच से हटता है तो श्वास-प्रश्वास में भी सुधार होता जाता है और अधिक चिंता करने की आदत मिटने लगती है।

एक बार एक अस्पताल में कुछ मरीजों के समान स्वभाव को जांचने के बाद उन पर सात दिन का प्रयोग किया गया। वे सभी मरीज अभिनय पसंद करते थे तो अस्पताल ने उनके लिए सात दिवसीय कार्यशाला आयोजित की। उस कार्यशाला में सबको कुछ मिनट किसी अभिनेता का अभिनय करते हुए अपनी दिनचर्या अभिव्यक्त करनी थी। जब यह कार्यशाला शुरू हुई तो दूसरे ही दिन सारे मरीज अपना हर काम खुद करते हुए नजर आए।

इतना ही नहीं, उन्होंने पूरे सात दिन किसी तरह की सेहत संबंधी शिकायत दर्ज नहीं की। बस इतनी-सी वजह थी कि उनकी बातें सुनने कुछ विद्यार्थियों का दल हर रोज आता और सात दिन तक उनकी बातें सुनने वाले वहां पर भरपूर थे। यह एक अचंभित कर देने वाली घटना थी। उसके बाद पूरी दुनिया मे ऐसे प्रयोग होने लगे हैं कि बातचीत में मगन करके किसी मरीज को उसका मर्ज भूलने और दूर करने में सहयोग किया जाता है।

सामान्य जीवन में भी यह गपशप किसी दवा से कम नहीं है। एक रोचक खबर में बताया गया था कि एक शहर मे एक ग्राहक हर दिन अपनी प्रिय दुकान में जाकर मजेदार लतीफे सुनाया करता था। उसका यह अंदाज इतना पसंद किया गया कि उन दुकानों में उस समय ग्राहकों की भीड़ रहने लगी। जब किसी ने उस व्यक्ति से इन मजेदार लतीफों की वजह पूछी तो उसने जवाब दिया कि उसे बात करने का शौक है, इसलिए वह हर दिन दूध, सब्जी और राशन की दुकान में और हर सप्ताह अपने पसंदीदा नाई की दुकान हंसने-हंसाने वाली बातें करता है।

आज हर जगह कुछ ऐसे हालात हैं कि अकेलेपन और अपनों से दूरी की दशा के चलते व्यक्ति निरर्थक ही तनाव और मानसिक थकान का अनुभव करता रहता है। मगर कहीं किसी से कुछ हंस-बोलकर तनाव के दुष्प्रभाव से बचा जा सकता है। किसी से कुछ मिनट ही सही, अच्छी बातें करते रहने से जहां मस्तिष्क को ताजगी प्राप्त होती है, वहीं वह विश्राम में रहकर थकानमुक्त अनुभव करता है।

बहुत बार पता नहीं लगता, पर शरीर इस गपशप की ऊर्जा से खुद को परोक्ष रूप से बहुत लाभान्वित कर लेता है। कितनी भी निराशा या तनाव क्यों न हो, जैसे ही हम बात करना शुरू करते हैं, मानो कोई समंदर एकाएक शांत होने लगता है। यह शांति ही मन और शरीर को मजबूती प्रदान करती है। बातचीत कई बार सजग करती है। यह हमारे होश पर से भावना और विचारों के बादल को हटाकर शुद्ध रूप से हमें वर्तमान में खड़ा कर देती है और खुद पैदा की गई कमजोरी, जैसे काम, क्रोध, मद, लोभ और आसक्ति, शिकायत, क्लेश आदि विकार समाप्त हो जाते हैं।

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First published on: 29-03-2023 at 01:19 IST
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