आलोक सक्सेना
धैर्य रखना, कभी भी अपनी असफलताओं से निराश न होना, शालीनता और मौन मनुष्य के सबसे अच्छे आभूषण हैं। करना है तो बस करना है। जब ठान लिया तो कोई भी कार्य असंभव नहीं होता। ज्ञान के बल को बढ़ाना ही एक दिन सार्थक मुकाम पर पहुंचाता है। सार्थक दिशा में किया गया अभ्यास-कर्म ही उत्कृष्ट सफलता की कुंजी है। जब भी कोई परीक्षार्थी किसी प्रतियोगिता परीक्षा में बैठने जाए तो उसे ‘बेस्ट आफ लक’ के बजाय ‘तुम्हारी मेहनत और तुम्हारा अभ्यास साथ दे’ कहना चाहिए। अपने लक्ष्य को इतना महान बना देना चाहिए कि व्यर्थ के लिए समय ही न बचे।
सकारात्मक सोच और योजनाबद्ध तरीके से निरंतर अभ्यास ही दिलाएगा लक्ष्य
मनुष्य के द्वारा किया जाने वाला कोई भी कार्य असंभव नहीं होता है। किसी भी कार्य को करने के लिए एकाग्रचित होकर सफलतापूर्वक लिया गया उचित प्रशिक्षण, मार्गदर्शन, आत्मविश्वास, सकारात्मक सोच और योजनाबद्ध तरीके से निरंतर अभ्यास में दिया गया समय ही मनुष्य को मनचाही सफलता के चरम पर एक न एक दिन पहुंचा देता है।
जो खुद अपनी सफलता के लिए कर्म करता है, वही कर्मयोगी बनता है।
किसी भी व्यक्ति की किसी भी क्षेत्र में सफलता उसके द्वारा किए गए कर्म पर निर्भर करती है। माता-पिता और अभिभावकों का उचित मार्गदर्शन, बड़ों की शुभकामनाएं और प्रोत्साहन भी बेहद अहम है, हालांकि जरूरी नहीं कि सभी को यह मिल ही जाए। कई लोगों की जिंदगी में तो आशीर्वाद देने वाले भी नहीं होते और बहुतों के जीवन में कोई सही राह दिखाने वाला नहीं होता। माता-पिता सक्षम हों तो वे उचित सुविधाएं दे पाते हैं। जो व्यक्ति खुद अपनी सफलता के लिए कर्म करता है, वही कर्मयोगी बनता है। ऐसे ही व्यक्तियों को मनचाही सफलता भी मिलती है।
ऐसे लोग प्रत्येक क्षेत्र में कर्म की धनात्मक ऊर्जा का समावेश करते रहते हैं
ऐसे लोग प्रत्येक क्षेत्र में कर्म की धनात्मक ऊर्जा का समावेश करते रहते हैं। संदर्भ के कहने की जरूरत हो, तो एक परिचित महिला का चयन भारतीय सेना में एक कमांड अस्पताल के लिए सैन्य नर्सिंग सेवा के लिए हो गया था, उन्होंने अपने अथक कर्म पर विश्वास रखा, अपने जीवन में समय और कर्म का संतुलन बनाया और अपनी संकल्प शक्ति और निज परिश्रम में जुटी रहीं। आज वे एक केंद्रीय विश्वविद्यालय से फिजियोथेरेपी में स्नातक की शैक्षिक योग्यता और सफल फिजियोथेरेपी डाक्टर बनने की राह पर अग्रसर हैं।
ऐसे जीवट और इच्छाशक्ति वाले लोग अपने कर्म के दम पर सफलताओं के उत्कृष्ट शिखर पर जाकर ही दम लेते हैं। परिश्रम ही उनकी सफलता की कुंजी होता है। सार्थक दिशा में किया गया परिश्रम कभी बेकार नहीं जाता। कभी इसका प्रतिशत कम हो सकता है, मगर अनुभव बेहतर ही होता है।
भारतीय वायुसेना हो या अन्य कोई और सेना, सभी जगह अपने हौसलों के दम पर हमारे जांबाज राष्ट्ररक्षक बहादुर योद्धा अपनी परवाह किए बिना अपने देश और देशवासियों की रक्षा में रात-दिन तत्पर रहते हैं। वे रातों को जागते हैं, तब हम सब देश के नागरिक रात को अपने बिस्तर पर आराम से नींद भर सो पाते हैं। वे लेह-लद्दाख में अपनी हड्डियां गलाते हैं, तब जाकर हमारी सीमाओं पर कोई भी दुश्मन आंख उठा कर भी नहीं देख पाता।
अपने राष्ट्ररक्षक जांबाज योद्धाओं के जज्बे और हिम्मत के दम पर ही हमारी खुशियां सार्थक हो पाती हैं। जिस किसी ने भी देश की रक्षा करने की ठान ली तो वह फिर किसी भी हाल में पीछे नहीं हटता। यह बेवजह नहीं है कि अपनी संकल्प शक्ति के धनी फौजी राष्ट्ररक्षक जांबाजों और उनके परिवार वालों को हम सब ‘सैल्यूट’ करते नहीं थकते।
हमें कभी भी अपनी सफलता के लिए प्रार्थना करते समय किसी प्रकार का चमत्कार होने की उम्मीद और अपेक्षा नहीं करनी चाहिए। ऐसी उम्मीदें कभी पूरी नहीं होतीं। हां, अपने भीतर उचित शक्ति, विवेक और विश्वास बनाए रखने का भरोसा पैदा करना चाहिए, ताकि सफलता की राह में आने वाली बाधाओं को हम आसानी से पार सकें। सच यह है कि मनुष्य द्वारा पूरा कर लिया जाने वाला कोई भी कार्य अगर असंभव होता तो वह हो ही नहीं पाता। बस इतना भर करना होता है कि उस काम को करने के लिए एकाग्रचित्त होने के साथ-साथ उचित मार्गदर्शन हासिल किया जाए। महज एक मोड़ पर सही दिशा किसी को कामयाबी के सफर पर आगे बढ़ा सकती है।
आत्मविश्वास और सकारात्मक सोच बहुत जरूरी है। हम योजनाबद्ध तरीके से काम करके सफलता पा सकते हैं और असफलता को अपनी सफलता की सीढ़ी मान कर भी आगे का लक्ष्य हासिल कर सकते हैं। यह ठान लेना होता है कि इस काम को पूरा करना है तो बस करने की दिशा में ही कोशिश करना चाहिए। निज कर्म और धैर्य इसका सबसे बड़ा संबल होता है।
हम जिस समाज और दुनिया में रहते हैं, उसका ढांचा आमतौर पर हर कदम पर हमारी राह में अड़चन खड़ा करता है। लेकिन जो लोग अपने हौसले और इच्छाशक्ति से इस रास्ते पर टिके रह जाते हैं, वे मंजिल पर पहुंच जाते हैं। इसमें आत्मविश्वास में थोड़ी भी कमी संभव कार्य और कामयाबी की मंजिल से दूर कर सकती है।