मनीष कुमार चौधरी
आज हमारी इकलौती निश्चित संपत्ति है।’ हम सभी जानते हैं कि वर्तमान क्षण कितना क्षणभंगुर हो सकता है। फिर भी जीवन की हलचल में फंस जाना और वर्तमान को खिसकने देना बहुत आम है। यह सिर्फ मानव स्वभाव के कारण भी हो सकता है।
लेकिन हममें से कई लोग अपनी सारी ऊर्जा भविष्य के बारे में विचारों में केंद्रित करते हैं या अतीत को फिर से जीने में फंस जाते हैं। जबकि वर्तमान क्षण बस बीत जाता है। दिन भर में ऐसे सैकड़ों क्षण होते हैं जहां आप रुक सकते हैं, एक कदम पीछे हट सकते हैं और उस क्षण में अपने विचारों और भावनाओं के साथ वर्तमान क्षण को स्वीकार कर सकते हैं।
तो एक यात्रा शुरू करने के लिए, अपने जीवन को एक नए बेहतर तरीके से स्थापित करने के लिए अतीत का दरवाजा बंद करना होगा। यह स्वीकार करना होगा कि इससे बेहतर अतीत कभी नहीं होगा और मुझे वर्तमान क्षण में कर्म करना है। भविष्य पर हमारा कोई जोर नहीं होता, वह हमारी शक्ति से परे है। बस एक छोटा-सा वर्तमान क्षण हमारे हाथ में है।
इस क्षण में कुछ किया जा सकता है और वह इतना छोटा है कि अगर ज्यादा सोच-विचार में समय गंवा दिया जाए तो वह चुक जाएगा। हममें से अधिकतर लोग इसी तरह जीवन गुजार देते हैं और हाथ कुछ नहीं लगता। शक्ति का बिंदु हमेशा वर्तमान क्षण में होता है। आपका बड़ा अवसर वहीं हो सकता है, जहां आप अभी हैं।
एक बार अभावग्रस्त एक व्यक्ति महाराज युधिष्ठिर के पास कुछ याचना कर रहा था। ‘अच्छी बात है, आपका कार्य कल कर दूंगा’, युधिष्ठिर ने याचक को आश्वस्त कर दिया। इतने में ही महाबली भीम ने विजयसूचक घंटा बजा दिया। ‘यह क्या किया तुमने भीम?’ युधिष्ठिर ने चौंक कर कहा। भीम बोले, ‘इस घंटे को बजाने के लिए इससे अधिक उपयुक्त अवसर कौन-सा हो सकता है? आपने तो काल पर विजय प्राप्त कर ली। कल तक काल देवता आपका कुछ नहीं बिगाड़ पाएंगे।’ भीम की यह गहरी बात सुनकर युधिष्ठिर की आंखें खुल गर्इं। उन्होंने याचक का काम तत्काल पूरा कर दिया।
जीवन में अधिकतर लोग सचेत नहीं होते, इसलिए वे अपने साथ या आसपास क्या हो रहा है, इस पर ध्यान दिए बिना जीवन जीते हैं। अगर हम अतीत या भविष्य के बारे में चिंता करते रहते हैं, तो उन परिवर्तनों से चूक जाएंगे जो अभी कर सकते थे जो भविष्य को प्रभावित करेगा। अगर जीवन में कुछ बदलाव करना चाहते हैं तो इसे करने का सबसे अच्छा समय अभी है। अतीत को तभी लाया जाए, जब केवल उससे निर्माण करने जा रहे हों। अतीत और भविष्य दोनों स्वप्न हैं। एक वह स्वप्न है, जिसे हम देख चुके होते हैं और भविष्य वह स्वप्न है, जिसे हम जागते हुए देखते हैं। इन दोनों के मध्य जो क्षीण रेखा है, वही हमारा वर्तमान है।
वर्तमान में जीने का मतलब है कि हमने अतीत को स्वीकार कर लिया है, उससे सीखा है और आगे बढ़ गए हैं। हमारे अतीत में कई घटनाएं होती हैं जो प्रभावित करती हैं कि हम वर्तमान में कैसे जीते हैं। समस्या तब होती है जब हम वर्तमान में सीखना भूल जाते हैं और केवल अतीत पर भरोसा करते हैं। कोई भी व्यक्ति भले ही अतीत में जाकर नई शुरुआत नहीं कर सकता, लेकिन कोई भी व्यक्ति अभी शुरुआत कर सकता है और एक नया अंत प्राप्त कर सकता है। एक अमेरिकी कहावत है, ‘आज आपके शेष जीवन का पहला दिन है।’
बीते कल की याद में कोई लीन या ‘नास्टेल्जिक’ हो सकता हैं। आने वाले कल के सपने बुन सकता हैं। लेकिन यह सब आज की कीमत पर नहीं हो सकता। मनोविज्ञान में ‘माइंडफुलनेस’ या सचेतन की अक्सर चर्चा होती है। यह स्थिति अपनी भावनाओं को बेहतर ढंग से नियंत्रित करने के साथ-साथ कृतज्ञता और सहानुभूति का अभ्यास करने की अनुमति देती है। इस क्षण में उपस्थित होना वास्तव में ‘क्या महत्त्वपूर्ण है और क्या नहीं’ के बीच अंतर को भी स्पष्ट करता है। यह असमंजस से बाहर निकालने में मदद करता है। यह पूरी तरह से मौजूद रहने का अभ्यास है।
जब हम इस क्षण में उपस्थित होने के बारे में सचेतन होने के कार्य के रूप में सोचते हैं, तो अपने आप को खुद के अनुभव के पूर्ण नियंत्रण में रखते हैं। बुद्ध मानते थे कि हमें हर काम को करते हुए पता होना चाहिए कि हम क्या कर रहे हैं? यानी हमें हर चीज का होश रहना चाहिए। दार्शनिक लाओत्से की बात को आत्मसात किया जा सकता है कि अगर आप उदास हैं, तो अतीत में जी रहे हैं, अगर चिंतित हैं, तो भविष्य में जी रहे हैं, अगर शांति में हैं, तो वर्तमान में जी रहे हैं।