60 के दशक में जब करीम लाला, हाजी मस्तान और वरदराजन जैसे डॉन मुंबई में माफियाराज के सबसे बड़े बादशाह थे, तो एक माफिया क्वीन भी थी जिसकी धाक मुंबई में थी। इस माफिया क्वीन का नाम गंगूबाई काठियावाड़ी था। गंगूबाई, मुंबई के कमाठीपुरा इलाके में कोठे चलाती थी और वह उस समय की सबसे रसूखदार महिला माफिया मानी जाती थी।
कौन थीं गंगूबाई काठियावाड़ी: मुंबई में सालों तक अपराध जगत और अंडरवर्ल्ड को कवर कर चुके पत्रकार व लेखक हुसैन एस. जैदी की किताब “माफिया क्वींस ऑफ मुंबई” के मुताबिक गंगूबाई मूल रूप से गुजरात के काठियावाड़ की रहने वाली थी। गंगूबाई का पूरा नाम गंगा हरजीवनदास काठियावाड़ी था। हालांकि लोग उन्हें गंगूबाई काठियावाड़ी के नाम से ही जानते थे। फिर भी उनकी कहानी किसी फिल्म से कम नहीं थी।
बनना चाहती थी अभिनेत्री: गुजरात के काठियावाड़ की रहने वाली गंगूबाई बचपन से ही फिल्म अभिनेत्री बनना चाहती थी और फिल्मों की भी शौकीन थी। लेकिन किस्मत में शायद यह सब नहीं था। गंगूबाई को अपने पिता के अकाउंटेंट रमनीक लाल से प्यार हुआ और वह भागकर मुंबई चली आई और यही शादी कर ली। पति धोखेबाज निकला और उसने चंद पैसों के लिए गंगूबाई को मुंबई के कमाठीपुरा के कोठे में बेच दिया।
कोठे में अत्याचार और डॉन से मुलाकात: पति से धोखा खाई और जबरन देह व्यापार में धकेली गई गंगूबाई यह घटना भूल नहीं पाई। जैसे-तैसे जीवन चल रहा था कि इसी बीच डॉन करीम लाला गैंग के एक गुंडे शौकत खान ने गंगूबाई के साथ दरिंदगी को अंजाम दिया। इस अत्याचार पर गंगूबाई शांत नहीं बैठी और उन्होंने करीम लाला से मुलाकात की ठानी। कई दिनों बाद हुई मुलाकात में गंगूबाई ने करीम लाला से न्याय मांगा।
करीम को राखी बांध बनी माफिया क्वीन: डॉन करीम लाला से हुई मुलाकात में गंगूबाई ने सारी बात बताई तो करीम ने कहा कि जब वह फिर कभी आए तो मुझे बताना। थोड़े दिनों बाद जब शौकत आया तो करीम लाला ने उसे खूब पीटा था, इसी दौरान गंगूबाई ने करीम लाला को राखी बांधकर अपना भाई मान लिया। वहीं करीम लाला ने कमाठीपुरा में चलने वाले कोठों की जिम्मेदारी गंगूबाई को सौंप दी। इसी घटना के बाद गंगूबाई का दबदबा हो गया। कमाठीपुरा के इलाके से बाहर भी उनका नाम जाना जाने लगा और देखते ही देखते वह मुंबई की माफिया क्वीन बन गई।
जबरन देह व्यापार में धकेलना नहीं थी आदत: माना जाता है कि भले ही गंगूबाई कोठे चलाती थी, लेकिन उन्होंने अपने रसूख का इस्तेमाल कर वेश्यालयों की हालत सुधारने का भी काम किया था। इसके अलावा वह किसी को भी जबरन अपने कोठे में नहीं रखती थी। जो भी इस धंधे से बाहर जाता था, वह उसकी मदद भी करती थी। कहा जाता है कि गंगूबाई खुद जिस दर्द से गुजरी थी, ऐसे में वह नहीं चाहती थी कि कोई दूसरा भी वही सब झेले।
वेश्या बाजार हटाने के लिए छेड़ी मुहिम: एक समय में जब मुंबई में वेश्या बाजार हटाने की मुहिम छेड़ी गई तो उसका नेतृत्व करते हुए गंगूबाई ही दिखी थी। वेश्यालयों में रहने वाली महिलाओं और उनके बच्चों के लिए भी काफी हालात सुधारने का काम गंगूबाई के द्वारा किये गए थे। इस माफिया क्वीन की एक मूर्ति कमाठीपुरा के स्लम एरिया में आज भी लगी है।