उदयपुर में कन्हैया लाल तेली की नृशंस हत्या में राष्ट्रीय जांच एजेंसी जांच कर रही है। जांच एजेंसी को ऐसा संदेह है गिरफ्तार किए गए दो लोगों के अलावा और भी लोगों की भूमिका इस हत्याकांड में हो सकती है। उदयपुर हत्या मामले में एनआईए उन स्थानीय कट्टरपंथी गिरोहों की संभावित संलिप्तता की जांच कर रही है, जिनका अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन है।
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, एनआईए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा है कि दोनों आरोपी एक ऐप के जरिए दावत-ए-इस्लामी के सदस्य बने थे। बता दें कि दावत-ए-इस्लामी का मुख्यालय कराची, पाकिस्तान में है और इसकी शाखाएं भारत में भी बताई जाती हैं। वरिष्ठ अधिकारी ने यह भी बताया है कि “हमने मामला अपने हाथ में ले लिया है, लेकिन अभी तक दोनों आरोपियों को हिरासत में नहीं लिया गया है।”
अधिकारी ने बताया कि आरोपियों की हिरासत मिलने के बाद ही हम स्थानीय या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उनके संबंधों के बारे में जानकारी जुटा पाएंगे। उन्होंने कहा कि गिरफ्तार किए गए लोगों रियाज और गौस मोहम्मद को जयपुर ले जाया जा रहा है, जहां उन्हें विशेष एनआईए अदालत में पेश किया जाएगा। हालांकि, अभी आरोपियों से राजस्थान में ही पूछताछ की जाएगी।
अधिकारी के मुताबिक दोनों आरोपी एक ऐप के जरिए दावत-ए-इस्लामी के सदस्य बने थे। दावत-ए-इस्लामी संगठन को मौलाना इलियास अटारी द्वारा 1981 में बनाया गया था, जिसे दुनिया भर में कई हिंसा की घटनाओं से जोड़ा गया है। इस संगठन से जुड़े लोग अपने नाम के साथ “अटारी” का प्रयोग करते हैं। जैसे उदयपुर मर्डर का एक आरोपी रियाज करता है।
इस घटना पर एनडीटीवी ने एनआईए के सूत्र का हवाला देते हुए कहा है कि “गिरफ्तार किए गए लोगों में से एक पाकिस्तान में कुछ लोगों के संपर्क में था, लेकिन अभी कोई निष्कर्ष निकालना जल्दबाजी होगी। जांच एजेंसी बिना पुष्टि के किसी भी आतंकी संगठन की संलिप्तता का अनुमान नहीं लगाएगी। जांच पूरी होने का बाद ही मामला साझा किया जाएगा।
वहीं, इस घटना के बाद राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी 30 जून, गुरुवार को उदयपुर में पीड़ित परिवार से मिलने पहुंचे। जहां उन्होंने कहा कि यह एक आतंकी घटना थी, जिसमें आरोपियों के संबंध विदेशों तक स्थापित हो गए थे।