टी-सीरिज म्यूजिक कंपनी के मालिक गुलशन कुमार को कौन नहीं जानता, लेकिन जब उनकी हत्या हुई तो मुंबई सहित पूरा देश सहम सा गया था। गुलशन कुमार को हिंदुस्तान का कैसेट किंग कहा जाता था। हमेशा मुस्कान लिए और कभी दिल्ली के दरियागंज में जूस की दुकान चलाने वाले गुलशन कुमार के जीवन का अंत बड़ा ही दर्दनाक रहा, जिसके बारे में आज यहां बताएंगे।
गुलशन कुमार का जन्म 05 मई 1951 को दिल्ली के दरियागंज में हुआ। गुलशन कुमार को शुरुआत से ही संगीत से लगाव था, इसलिए उन्होंने जूस की दुकान के अलावा सस्ते गानों के कैसेट की एक दुकान खोल ली। उस जमाने में गानों के कैसेट्स खूब बिका करते थे। जब व्यापार बढ़ा तो नोएडा में एक म्यूजिक प्रोडक्शन कंपनी खोल ली, लेकिन असली कामयाबी तब मिली जब उन्होंने 1983 में मुंबई में टी-सीरीज की शुरुआत की। इसी कंपनी के चलते वह देश में सबसे ज्यादा टैक्स चुकाने वाले व्यक्ति बने, लेकिन 90 के दशक में अंडरवर्ल्ड की काली परछाई उन पर भी पड़ी।
90 के दशक में दाउद और उसके राइट हैंड अबू सलेम का मुंबई में अपना खौफ था। बड़े कारोबारियों और बिल्डरों से प्रोटक्शन मनी वसूलने का काम इनका मुख्य पेशा था। इसी दौर में गुलशन कुमार के संगीत और उनके नाम की धमक समूचे देश पर थी। भक्ति भाव से परिपूर्ण गुलशन कुमार जितना कमाते, उससे अधिक नेक काम के लिए रुपये दान करते। बस यही बात अबू सलेम और दाउद के दिमाग में अटक गई और इसके बाद अबू सलेम ने गुलशन कुमार से 10 करोड़ की फिरौती मांगी।
अबू सलेम ने उन्हें कई बार फिरौती के लिए फोन किया पर वह नहीं डरे और न ही पैसे दिए। बताया जाता है कि एक बार अबू सलेम के द्वारा पैसे मांगे जाने पर गुलशन कुमार ने कहा था कि- 10 करोड़ में तो मैं वैष्णो देवी में भंडारा करा दूंगा। इसके बाद दाउद के इशारे पर अबू सलेम ने शार्प शूटर की मदद से 12 अगस्त 1997 को गुलशन कुमार की हत्या करा दी। वह उस वक्त जीतेश्वर महादेव मंदिर में पूजा करने गए थे।
इस हत्या पर महाराष्ट्र के पूर्व डीजीपी राकेश मारिया ने अपने संस्मरण में लिखा था कि, जब वह असिस्टेंट इंस्पेक्टर जनरल (लॉ एंड ऑर्डर, क्राइम) थे तो उन्हें और पूरी मुंबई पुलिस को इस बारे में जानकारी थी कि गुलशन कुमार की जान को खतरा है। वहीं क्राइम ब्रांच ने भी गुलशन कुमार को आगाह भी किया था कि वह कुछ दिन मंदिर न जाएं पर वे नहीं माने। राकेश मारिया ने किताब में लिखा था कि उन्हें अप्रैल 1997 में एक मुखबिर का फोन आया था, जिसमें उसने बताया था कि – “सर, गुलशन कुमार का विकेट गिरने वाला है।”
इसके बाद जब राकेश मारिया ने मुखबिर से पूछा कि “विकेट कौन लेने वाला है? तो उसने जवाब में कहा था – “सर, अबू सलेम…और उसने अपने पंटर लोग (शार्प शूटर) के साथ पूरा प्लान भी नक्की कर लिया है। रोज सुबह वह शिव मंदिर जाता है और वही पर वे (शार्प शूटर) उसका काम ख़त्म करने वाले हैं। इसके बाद राकेश मारिया ने अगली सुबह फिल्म निर्माता/निर्देशक महेश भट्ट को फोन करके पूछा था कि क्या गुलशन कुमार रोज सुबह मंदिर जाते हैं? ऐसे में उन्होंने कहा था कि हां वे रोज जाते हैं। फिर मैंने इस बात की सूचना क्राइम ब्रांच को दी थी।
वहीं पत्रकार रहे एस. हुसैन जैदी ने अपनी किताब “माय नेम इज अबू सलेम” में एक वाकये का जिक्र करते हुए बताया था कि अबू सलेम, गुलशन कुमार की एक बात से बहुत चिढ़ गया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि ’10 करोड़ में तो मैं वैष्णो देवी में भंडारा करा दूंगा।’ इसीलिए उसने शार्प शूटरों से कहा था कि गोली मारने के बाद गुलशन कुमार से कह देना कि – ‘यहां बहुत पूजा कर ली, अब ऊपर जाकर करना।’