दुनिया के सबसे खूबसूरत देशों में शुमार नीदरलैंड बीते कुछ समय से चर्चा में है। कारण सुनेंगे तो आप हैरान हो जाएंगे। दरअसल, बीते कई सालों से यहां की अलग-अलग जेलों को बंद किया जा रहा है। क्योंकि उन जेलों में अब अपराधी ही नहीं बचे हैं। आप को यह बात अचंभित करेगी, लेकिन यह सत्य है। कई सालों से देश में तेजी से गिरते क्राइम रेट के चलते अब जेलों में कैदी ही नहीं बचे हैं।
साल 2013 में शुरू हुआ सिलसिला: नीदरलैंड की जेलों में कैदियों की संख्या में लगातार कमी हो रही है। इसके पीछे का कारण देश में गिरता क्राइम रेट और जेल में बंद कैदियों के साथ किया जाने वाला बर्ताव माना जा रहा है। साल 2013 में यहां की जेलों को बंद किए जाने का काम शुरू किया गया था। साल 2019 में भी यहां कुछ जेलों को बंद कर उन्हें शरणार्थियों के स्थायी आवासों में बदल दिया गया। ऐसे में पूरे विश्व में इस देश की सराहना भी हो रही है।
कैदियों के लिए चलाए गए कई कार्यक्रम: नीदरलैंड में जेल में बंद कैदियों को सुधारने व उनके साथ किये जाने वाले व्यवहार पर कई सालों से काम किया गया। दूसरी बात यह कि यहां अपराधियों को जुर्म करने पर भारी जुर्माना अदा करना पड़ता है। साथ ही जिन कैदियों ने कई सालों की सजा काट ली थी, उनकी सजा को भी कम कर दिया गया।
नार्वे से भेजे जा रहे कैदी: नीदरलैंड में जहां एक तरफ क्राइम रेट घट गया है, वहीं दूसरी तरफ नार्वे में अपराध का स्तर काफी ज्यादा हो गया है। ऐसे में नार्वे की सरकार अपने देश से कैदी नीदरलैंड भेज रही है, ताकि जेल व्यवस्था सुचारू रूप से चलती रहे। इसका एक कारण यह भी है कि नार्वे की जेलों में कैदियों को रखने की जगह कम पड़ रही है। नार्वे लगातार 2015 से अपने कैदियों को नीदरलैंड भेज रहा है।
मनोवैज्ञानिकों की ली गई मदद: जब एक कैदी जेल में रहता है तो वह कई तरह की प्रताड़ना का सामना करता है। इस प्रताड़ना का असर कैदी को मानसिक रूप से कमजोर करता है, इसीलिए डच जस्टिस सिस्टम में कैदियों के लिए एक प्रोग्राम चलाया जाता है। जिसे हर कैदी को अटेंड करना होता है। इस प्रोग्राम में कैदियों की मदद के लिए मनोवैज्ञानिकों को जिम्मेदारी दी जाती है।
देश में बचे हैं इतने कैदी: साल 2013 से जेलों को बंद किये जाने के चलते अब तक 25 से ज्यादा जेल बंद कर दी गई हैं। इन जेलों को अब होटल, लॉज और शरणार्थी आवासों में बदला जा रहा है। साल 2016 के बाद आई एक रिपोर्ट के मुताबिक देश की 1 लाख आबादी पर 100 से भी कम कैदी बचे हैं।