Punjab News: कौमी इंसाफ मोर्चा की ओर से मोहाली, पंजाब (Mohali, Punjab) में सिख कैदियों की रिहाई के लिए चल रहे प्रदर्शन के बीच तिहाड़ जेल, दिल्ली (Tihar Jail, Delhi) के अधीक्षक द्वारा दायर एक स्टेटस रिपोर्ट (Status report) में खुलासा किया गया है कि सजा समीक्षा बोर्ड (Sentence Review Board ) ने सिख कैदी देवेंद्र पाल सिंह भुल्लर (Devender Pal Singh Bhullar) की रिहाई की याचिका को छठी बार खारिज (Reject) कर दिया है। भुल्लर की रिहाई पर सातवीं समीक्षा का फैसला भी फिलहाल अधर में है।
AAP के मंत्री सत्येंद्र जैन के नेतृत्व में Sentence Review Board का फैसला
तिहाड़ जेल अधीक्षक ने चंडीगढ़ में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय (Punjab and Haryana High Court) के आदेश के अनुपालन में 25 जनवरी को स्थिति रिपोर्ट दायर की थी। आम आदमी पार्टी (AAP) के नेतृत्व वाले दिल्ली के मंत्री सत्येंद्र जैन सजा समीक्षा बोर्ड (SRB) के प्रमुख हैं। हालांकि, इस बोर्ड में अन्य सदस्य भी हैं जो AAP के प्रभाव में नहीं हो सकते हैं। इन दिनों सतिंदर जैन खुद तिहाड़ जेल में बंद हैं। वहीं, आम आदमी पार्टी इस बात पर लगातार चुप है कि वह भुल्लर की रिहाई के पक्ष में है या विरोध में है।
कौन है कैदी Devender Pal Singh Bhullar
स्टेटस रिपोर्ट दाखिल किए जाने तक याचिका करने वाले कैदी भुल्लर ने 24 साल, नौ महीने और 17 दिन की वास्तविक सजा काट ली है। अपने क़ैद के दौरान उसने 2 साल, 8 महीने और 1 दिन की अवधि के लिए पैरोल का फायदा भी उठाया है। रिहाई की याचिका दाखिल करने वाला देवेंद्र पाल सिंह भुल्लर (Devender Pal Singh Bhullar) 1993 में दिल्ली में युवा कांग्रेस मुख्यालय (Youth Congress Headquarter, Delhi) के बाहर हुए विस्फोट का मुख्य आरोपी है। विस्फोट (Blast) में नौ लोग मारे गए थे। जर्मनी से निर्वासन के बाद भुल्लर को गिरफ्तार किया गया था। वह इस मामले में आजीवन कारावास (Life Imprisonment) की सजा काट रहा है और वर्तमान में पंजाब के अमृतसर सेंट्रल जेल में बंद है। जून 2015 से वह सरकारी मेडिकल कॉलेज, अमृतसर के मनोरोग विभाग में भर्ती हैं।
1995 से जेल में बंद है Devender Pal Singh Bhullar
भुल्लर को साल 2001 में मौत की सजा सुनाई गई थी। साल 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने इस सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया था। वह 1995 से जेल में है। 2012 में पता चला कि वह अवसाद से पीड़ित है और इसलिए उसे दिल्ली के एक अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया। परिवार की दलील के आधार पर उन्हें 2015 में अमृतसर के अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया था। 2016 से पंजाब सरकार ने उसे पैरोल पर बाहर आने की अनुमति दी है।
Status Report में क्या कहा गया है
स्टेटस रिपोर्ट (Status Report) के मुताबिक, “याचिकाकर्ता के मामले को उसकी समय से पहले रिहाई पर विचार करने के लिए दिल्ली सरकार के एनसीटी के सेंटेंस रिव्यू बोर्ड के समक्ष सात बार रखा गया था, लेकिन प्रत्येक अवसर पर बोर्ड द्वारा इसे खारिज कर दिया गया था। मामले को 2018 में दो बार, 2019 में एक बार और 2020 में तीन बार खारिज कर दिया गया था और 2022 में एक बार टाल दिया गया था। अंतिम निर्णय या आदेशों के मद्देनजर उनकी समय से पहले रिहाई पर विचार करने के लिए मामला फिर से 14 दिसंबर 2022 को बोर्ड के सामने रखा गया था। बोर्ड की इस बैठक का अंतिम परिणाम आज तक सामने नहीं आया है।”
इन वजहों से खारिज की गई भुल्लर की रिहाई याचिका
स्टेटस रिपोर्ट में कहा गया है कि अस्वीकृति के प्राथमिक कारणों में से एक अपराध की प्रकृति थी। विशेष रूप से राष्ट्र-विरोधी या आतंकवादी गतिविधियों में भुल्लर की संलिप्तता, अपराध की गंभीरता और अन्य आपराधिक मामलों में उसकी भागीदारी भी थी। रिपोर्ट में तर्क दिया गया कि संबंधित सरकार या अदालत द्वारा प्रदान किए जाने तक कैदी की समयपूर्व रिहाई के लिए कोई विशिष्ट नियम नहीं था।