चंबल नदी किनारे बीहड़ आज भले ही सूनसान-वीरान पड़े हो लेकिन एक जमाने में यह डाकुओं के सबसे अहम ठिकाने थे। इन्हीं बीहड़ों के बीच कभी फूलन देवी, कुसुमा नाइन, पुतलीबाई और सीमा परिहार का राज हुआ करता था। इन्हीं महिला डकैतों के बीच लवली पांडेय नाम की भी दस्यु सुंदरी हुई, जिसका खौफ 50 कोस के इलाके में था।
लवली पांडेय उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के भरेह गांव की रहने वाली थी। साल 1992 में शादी होने के बाद लवली पांडेय ससुराल चली गई, लेकिन कुछ दिन बाद ही पति ने तलाक दे दिया। घर वापस आई तो कुछ महीनों बाद पिता भी चल बसे। मेहनत-मजदूरी से घर चलाने वाली लवली की मुलाकात रज्जन गुज्जर नाम के शख्स से हुई। चूंकि, रज्जन गुज्जर डाकुओं के गिरोह का सरदार था, ऐसे में कोई खुलकर तो नहीं कहता पर गांव में दोनों के करीबी रिश्तों के चलते बातें होने लगी।
लोक-समाज की बातों को दरकिनार करते हुए लवली पांडेय ने भरेह के ही मंदिर में रज्जन गुज्जर के साथ शादी कर ली। बताते हैं कि इस शादी में कई गिरोहों के सरगना मौजूद रहे। शादी के बाद लवली डकैत बन गई और थोड़े ही दिनों में उसने चंबल के इलाके में अपने नाम की दहशत फैला दी।
साल 1998 आते-आते लवली पांडेय का नाम खूंखार महिला डकैतों में शामिल हो गया। लेकिन 1999 में लवली पांडेय का नाम तब ज्यादा चर्चा का विषय बना, जब उसने एक सेवानिवृत्त प्रधानाध्यापक रामस्वरूप शर्मा का अपहरण किया था। इस अपहरण में लवली पांडेय ने बाकायदा एक डकैत गैंग के मुहर लगे लेटरपैड पर चिट्ठी लिखकर 6 लाख की फिरौती मांगी थी।
इस घटना के बाद लवली पांडेय का नाम चंबल के बाहर भी जाना जाने लगा। इसके बाद यूपी व एमपी की पुलिस ने उसके ऊपर नकेल कसना शुरू किया। लवली पांडेय अपने पति रज्जन के साथ मिलकर लूटपाट, अपहरण और हत्या जैसी वारदातों को अंजाम दे रही थी। साल 2000 के शुरु में ही उस पर 50 हजार का इनाम रख दिया गया।
चंबल के इलाके सहित लवली पांडेय का आतंक अब यूपी के अलावा मध्यप्रदेश व राजस्थान में था। इसी साल 2000 के मार्च में लवली पांडेय को पति रज्जन गुज्जर के साथ पुलिस ने घेर लिया और इस मुठभेड़ में 50 हजार की इनामी लवली पांडेय को मार गिराया गया। सालों तक लवली पांडेय के नाम से फैला आतंक अब गहरे सन्नाटे में तब्दील हो चुका था।