मुंबई में आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर एक राष्ट्रीयकृत बैंक से 1.28 करोड़ रुपये का कर्ज लेने के मामले में एक महिला समेत तीन लोगों को गिरफ्तार किया है। इन सभी पर फर्जी कागजों के जरिए बैंक से कर्ज लेकर धोखाधड़ी के आरोप हैं। जिस मामले में गिरफ्तारी हुई है वह घटना साल 2011-12 के दौरान घटी थी और इसमें कार ऋण के लिए कुल 17 आवेदन किये गए थे।
आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) की बैंकिंग इकाई ने बैंक की कालबादेवी शाखा को धोखा देने के आरोप में सुदर्शन जिरगे, राकेश पाटिल और हमीदा बी मोइनुद्दीन (39) को गिरफ्तार किया। इस तीनों आरोपियों सुदर्शन जिरगे, राकेश पाटिल और हमीदा पर धोखाधड़ी, जालसाजी, विश्वासघात और आपराधिक साजिश के तहत भारतीय दंड संहिता की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।
इस मामले में बैंक के शाखा प्रबंधक बृजेश जैन शिकायतकर्ता हैं, जिन्होंने आरोप लगाया था कि साल 2012 में आरोपियों ने एक दूसरे के साथ साजिश रची थी। फिर तय योजना के मुताबिक, फर्जी दस्तावेज जमा करके 17 कार ऋण के लिए आवेदन किया और बैंक को धोखा दिया। बैंक के शाखा प्रबंधक बृजेश जैन के अनुसार, कार ऋण की धोखाधड़ी का यह अपराध 2011 और 2012 के बीच हुआ था।
पुलिस ने कहा कि, इस फर्जीवाड़े में गिरफ्तार किये गए सुदर्शन जिरगे ने फर्जी दस्तावेजों पर कार ऋण के लिए आवेदन किया था। फिर उसने कार खरीदने के बजाय पैसे निकाल लिए। पुलिस ने बताया कि जिस तरह सुदर्शन जिरगे ने फर्जी कागज लगाकर बैंक से ऋण लिया और पैसों का दूसरे उद्देश्यों में इस्तेमाल किया, उसी तरह अन्य दोनों आरोपियों राकेश पाटिल और हमीदा ने भी इसी तरह से बैंक को चूना लगाया था।
इससे पहले पुलिस ने आरोपियों की मदद करने और उन्हें उकसाने के आरोप में एक मोटर कार डीलर कैलाश गुप्ता को गिरफ्तार किया था। मोटर कार डीलर कैलाश गुप्ता पर भी स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर को 1.3 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाने का आरोप है। हालांकि, इस मामले में पुलिस टीम अब अन्य आरोपियों की तलाश कर रही है। वहीं, आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) की बैंकिंग इकाई भी आरोपियों को दबोचने के लिए लगातार छापेमारी कर रही है।