आज कहानी एक मटका किंग के क़त्ल की जिसमें आरोप उसकी खुद की पत्नी पर लगा। फिर इसी कहानी में एंट्री हुई मटका किंग के एक भाई की जिसे अपने भाई की मौत का बदला लेना था। इन सबके बीच रची गई एक साजिश जिसका राजफाश मुंबई पुलिस ने कर दिया। दरअसल, यह पूरा मामला एक हत्या की साजिश का था और 60 लाख की सुपारी का था। हालांकि, इस पूरी साजिश को समझने के लिए थोड़ा पीछे जाना पड़ेगा।
50-60 के दशक में गुजरात से कल्याण भगत मुंबई आये फिर यहां मटका किंग बने। उन दिनों मुंबई में सट्टा सरेआम खेला जाता था, जिसके एक वर्जन को मटका कहा जाता था। कल्याण भगत की मौत हुई तो उनके बेटे सुरेश भगत ने इस काम को आगे बढ़ाया लेकिन 2008 में सुरेश भगत की भी मौत हो गई। फिर मुंबई पुलिस की जांच में सामने आया कि मटके का बिजनेस हड़पने के लिए सुरेश का योजना के तहत मर्डर किया गया था।
पुलिस के मुताबिक, सुरेश की पत्नी जया भगत ने अरुण गवली गैंग के आदमी सुहास रोगे के साथ यह प्लान बनाया था। जिसमें 2008 में एक ट्रक वाले को हत्या की सुपारी दी गई और फिर एक्सीडेंट की शक्ल में क़त्ल को अंजाम दिया गया। जया भगत और सुहास रोगे का यह प्लान तब फ्लॉप साबित हुआ, जब पता चला कि सुरेश ने मौत से पहले ही मुंबई क्राइम ब्रांच और हाई कोर्ट को अपने करीबियों से जान का खतरा होने की बात कही थी।
पुलिस ने तफ्तीश शुरू की और पत्नी जया भगत, बेटे हितेश भगत और सुहास रोगे समेत 8 लोगों को गिरफ्तार कर लिया। हालांकि, इस कहानी में सुरेश के भाई विनोद भगत की एंट्री बाकी थी। विनोद अपने भाई के मौत का बदला लेना चाहता था और तभी उसे पता चला कि जया उम्रकैद की सजा में जमानत पर है। वह अपनी बहन के साथ घाटकोपर में रहती थी जबकि बेटे हितेश की 2014 में ही मौत हो गई थी।
विनोद ने जया और उसकी बहन के क़त्ल की 60 लाख की सुपारी दी लेकिन पुलिस ने साजिश का भंडाफोड़ करते हुए सुपारी किलर अनवर दर्जी को पकड़ लिया। अनवर दर्जी 60 लाख की सुपारी में चौथा किरदार था। पुलिस की मानें तो विनोद ने यह सुपारी अपने करीबी बशीर बेगानी मामू को दी थी। बशीर मामू ने इस काम को जावेद को दिया और फिर पंडित नाम के शख्स ने यह सुपारी अनवर दर्जी को दी थी।
मुंबई क्राइम ब्रांच को अनवर के पास से जया भगत और उसकी बहन आशा की फोटो और रेकी के वीडियो मिले। क्राइम ब्रांच के तत्कालीन डीसीपी अकबर पठान ने बताया था कि मामू ने पैसे मिलने के बाद दो लोगों के माध्यम से काम अनवर को सौंपा था। जांच पड़ताल की गई तो जावेद को बिजनौर और पंडित को पालमपुर से अरेस्ट किया गया। इस केस में पुलिस कई दिनों तक उलझी रही लेकिन यहां सुपारी देने वाले की ही सुपारी निकल गई।