दिल्ली में अपराधियों के हौसले कितने बड़ गए हैं। इस बात का सबूत है एकता जोशी हत्याकांड। एकता जोशी दिल्ली के यमुनापार इलाके के जीटीवी एंक्लेव में रहती थी। एकता को इलाके की प्रमुख किन्नर अनीता जोशी ने गोद लिया था। एकता को गोद लेने के बाद अनीता ने अपने पैसों और काम का सारा हिसाब एकता को ही सौंप दिया था। एकता को जैसे ही ये काम सौंपा गया तो कई अन्य किन्नर ग्रुप इस बात से नाराज हो गए।
उनकी नाराजगी की ये वजह करोड़ों का लेनदेन और इलाके में एकता का बढ़ता प्रभाव था। आमतौर पर किन्नरों का इलाका बंटा होता है और एकता बहुत कम समय में ही इस पूरे इलाके की हेड बन गई थी। उनके इस बढ़ते प्रभाव से सामने वाला मंजूर इलाही ग्रुप काफी नाराज था और वह एकता को रास्ते से हटाना चाहता था। एकता की कॉल डिटेल्स खंगाने के बाद पुलिस को पता चला था कि एकता भी कई खूंखार गैंगस्टर्स के संपर्क में थी।
इंडिया टुडे के मुताबिक, पुलिस ने एकता की कॉल डिटेल से पास में ही रहने वाले आमिर को उठाया और उससे पूछताछ शुरू की। पूछताछ में आमिर ने बताया कि वह भी हत्या में शामिल था और इस हत्याकांड का पूरा मास्टर माइंड गगन पंडित है। गगन ने मंजूर इलाही ग्रुप ने संपर्क किया था और गगन को पता था कि मामला करोड़ों रुपए का है तो उसने 1 करोड़ रुपए की सुपारी ली थी। अंत में बात 55 लाख रुपए पर जाकर तय हुई और घटना को पिछले साल ही अंजाम दे दिया गया था।
घटना को अंजाम रात के समय दिया गया था। एकता अनीता मां के साथ बाजार से आती हैं और अपना सामान कार में से निकालती हैं। कार से निकलने के बाद वह जैसे ही आगे बढ़ती हैं तो दो लोग स्कूटी पर पीछे से आते हैं। स्कूटी बिल्कुल एकता के पास आती है और उन्हें एक के बाद एक चार गोलियां मार दी जाती हैं। एकता की मौके पर ही मौत हो जाती है और पुलिस भी पूरे मामले की जांच में जुट जाती है।
मामले की जांच के लिए दिल्ली पुलिस में स्पेशल टीम बनाई जाती है। पुलिस के लिए गगन पंडित को पकड़ना आसान नहीं था क्योंकि वह दिल्ली नहीं बल्कि मेरठ का रहने वाला था और आमिर ने पूछताछ में बताया था कि हत्या के बाद गगन दोबारा मेरठ भाग गया था। पुलिस को मुखबिरों से गगन से दिल्ली आने के बारे में पता चलता है। स्कॉर्पियों कार से जैसे ही गगन दिल्ली के निरंकारी समागम ग्राउंड में आता है तो पुलिस उसे गिरफ्तार कर लेती है।