भारत का ‘चार्ल्स शोभराज’: जज की कुर्सी पर बैठ फैसले सुनाता रहा फ्रॉड, 1000 कारें चुराने और LLB की डिग्री रखने वाले महाठग की कहानी
यह भी किस्सा काफी मशहूर है जब एक बार धनी राम मित्तल से अदालत में खींच कर जज साहब ने उसे बाहर जाने को कहा। वो बाहर गया और फिर चुपचाप वहां से निकल गया।

इस महाठग को भारत का ‘चार्ल्स शोभराज’ भी कहा गया। जेल से रिहा होने के बाद धनी राम मित्तल को 77 साल की उम्र में साल 2016 में कोर चोरी की एक और वारदात में गिरफ्तार किया गया था और उसे भेज भी भेजा गया। पुलिस ने बताया था कि धनी राम मित्तल को दिल्ली के पश्चिम विहार इलाके से उस वक्त गिरफ्तार किया गया था जब अपनी चोरी की कार को वो बेचने के लिए निकला था।
बताया जाता है कि करीब 6 दशक तक धनी राम मित्तल कई बार जेल गया और बाहर आया। वो दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, चंडीगढ़ और पंजाब में 1000 से ज्यादा कारें चुरा चुका है। बताया जाता है कि इस महाठग को रूप बदलने में महारत हासिल है और रूप बदल-बदल कर उसने कई बार लोगों को चूना लगाया।
स्टेशन मास्टर बना
बताया जाता है कि साल 1968 से 1974 के बीच वो फर्जी डॉक्यूमेंट के आधार पर स्टेशन मास्टर बन गया और कई दिनों तक नौकरी की। पुलिस ने बताया था कि इसी दौरान वो फर्जी ड्राइविंग लाइसेंस और फर्जी रजिस्ट्रेशन पेपर भी बनाने लगा था।
महाठग ने हासिल की LLB की डिग्री
बताया जाता है कि धनी राम मित्तल ने चोरी और फर्जीगीरी करते-करते एलएलबी की डिग्री भी हासिल की थी। उसने हैंडराइटिंग एक्सपर्ट और ग्राफोलॉजी की डिग्री भी ली थी। बताया जाता है कि 25 साल के उम्र में उसने जुर्म की दुनिया में कदम रखा था और फिर साल 1964 में वो पहली बार गिरफ्तार भी हुआ था।
फर्जी जज बन संभाली कुर्सी
बताया जाता है कि फर्जी कागजातों की बिनाह पर उसने झज्जर कोर्ट के एडिशनल सेशल जज को तकरीबन दो महीने की छुट्टी पर भेज दिया था। उनके बाद वो खुद फर्जी जज बनकर उनकी कुर्सी पर विराजमान हो गया। बताया जाता है कि इन 40 दिनों में उसने कुल 2 हजार सात सौ चालीस लोगों को बेल दे दी जिसमें कई क्रिमिनल भी थे। कहा जाता है कि एलएलबी की डिग्री मिलने के बाद वो अपने दोस्तों की मदद कानूनी तौर से करता था।
वह भी किस्सा काफी मशहूर है जब एक बार धनी राम मित्तल से अदालत में खींच कर जज साहब ने उसे बाहर जाने को कहा। वो बाहर गया और फिर चुपचाप वहां से निकल गया। उसकी पेशी के वक्त जब वो वहां नहीं मिला तब पुलिसवालों के हाथ-पांव फूल गए थे। बताया जाता है कि जेल के बाहर उसके जितने दोस्त थे उससे कहीं ज्यादा दोस्त उसके जेल के अंदर थे।