ED seized about 100 crores In last 3 months: इस साल देशभर में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कई मामलों के सिलसिले में छापेमारी कर भारी नकदी जब्त की है। अगर बीते 3 महीनों की बात करें तो कई जगह की गई छापेमारी में करीब 100 करोड़ रुपए की भारी नकदी जब्त हुई है। ताजा मामला कोलकाता से सामने आया जहां एक मोबाइल गेमिंग एप्लिकेशन से संबंधित धोखाधड़ी के मामले में एक कारोबारी के आवास से 17 करोड़ रुपए से अधिक की जब्ती हुई है।
नोटों के ऐसे पहाड़ जिन्हें गिनते-गिनते थक गए अफसर
कई मामलों में हाल तो ऐसा था कि अधिकारी कर्मचारी नकदी गिनते-गिनते थक गए और फिर उन्हें कैश काउंटिंग मशीन मंगानी पड़ी। बीते दिन, कोलकाता में ही एक मोबाइल गेमिंग एप्लिकेशन स्कैम से जुड़े मामले में एक कारोबारी के घर से करीब 17 करोड़ रुपए से अधिक की जब्ती हुई है। बीते महीनों में जांच एजेंसी ने इतिहास में नकदी की सबसे बड़ी जब्ती पश्चिम बंगाल एसएससी घोटाले के सिलसिले में निलंबित मंत्री पार्थ चटर्जी की सहयोगी अर्पिता मुखर्जी के अपार्टमेंट से की थी।
जांच एजेंसी के इतिहास की सबसे बड़ी जब्ती
अर्पिता मुखर्जी के यहां से करीब 50 करोड़ रुपए की नकदी बरामद की थी। ईडी को संदेह है कि बरामद की गई रकम का सोर्स शिक्षक भर्ती घोटाला है। अर्पिता मुखर्जी के ठिकानों से जब्त की गई नकदी की करीब 24 घंटे तक गिनती जारी रही थी जिसमें अधिकारी नकदी के पहाड़ को गिनते-गिनते थक गए थे।पश्चिम बंगाल के शिक्षक भर्ती घोटाले से पहले ईडी अधिकारियों ने झारखंड खनन घोटाले में 20 करोड़ रुपये से अधिक की नकदी जब्त की थी।
नकदी बरामदगी के बाद आरोपी को मिलता है एक मौका
देश में जांच एजेंसी को नकदी जब्त करने की अनुमति दी गई है, लेकिन जाहिर है वह बरामद की गई रकम को अपने पास नहीं रख सकते हैं। प्रोटोकॉल के अनुसार, जब भी एजेंसी नकदी की वसूली करती है, आरोपी को आय के जरिए को समझाने का मौका दिया जाता है। यदि कोई भी संदिग्ध उस रकम की आय के वैध जरिए को जांच करने वाले अधिकारियों को नहीं बता पाता है तो नकदी को गलत तरीके से जमा की गई धनराशि मानी जाती है।
ईडी द्वारा बरामद नकदी का क्या होता है?
जब किसी रकम की जब्ती का वैध जरिया जांच एजेंसी को नहीं मिलता है तो फिर इस नकदी को धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत जब्त कर लिया जाता है और फिर ईडी के अधिकारी भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के अधिकारियों को बरामद की गई रकम की गिनती के बुलाते हैं। जब रकम गिन ली जाती है तो फिर बैंक अधिकारियों की मौजूदगी में ईडी के अधिकारी जब्ती की लिस्ट बनाते हैं। फिर इसे स्वतंत्र गवाहों के सामने बक्से में सील कर उस राज्य में भारतीय स्टेट बैंक की शाखा में भेज दिया जाता है, जहां इसे प्रवर्तन निदेशालय के व्यक्तिगत जमा (PD) खाते के तहत जमा किया जाता है।हालांकि, जब्त किए गए पैसे का इस्तेमाल प्रवर्तन निदेशालय, बैंक या सरकार द्वारा नहीं किया जा सकता है।
अदालत से तय होता है नकदी का भविष्य
इस पूरी प्रक्रिया के बाद एजेंसी एक अनंतिम कुर्की आदेश तैयार करती है। यह सब करने का मकसद सिर्फ यह होता है आरोपी इसे अपने इस्तेमाल में न ला सके। एक बार जब कुर्की की पुष्टि हो जाने के बाद मामले में केस चलने तक रकम बैंक में ही रहती है। यदि मामले में आरोपी को दोषी ठहराया जाता है तो सारी रकम सरकार के खाते में चली जाती है और अगर आरोपी सभी आरोपों से बरी हो जाता है तो रकम उसे वापस कर दी जाती है।