देश के एक राज्य पंजाब की जमीन हमेशा से ही बड़ी उर्वर रही है। त्याग, तपस्या और बलिदान की भूमि से कई ऐसे नाम निकले जिन्होंने पूरी दुनिया में नाम कमाया। वहीं हरजिंदर सिंह भुल्लर उर्फ विक्की गौंडर भी एक नाम था जो कभी डिस्कस थ्रो का बेहतरीन खिलाड़ी हुआ करता था। लेकिन समय का पहिया ऐसा घूमा कि विक्की गौंडर कुख्यात अपराधी में तब्दील हो गया।
पंजाब एक मुक्तसर जिले के सरांव बोदला गांव के रहने वाले हरजिंदर भुल्लर की शुरुआती शिक्षा गांव में ही हुई। यहीं पर रहकर उसने स्टेट लेवल तक डिस्कस थ्रो खेल में मेडल जीते। लेकिन इसके बाद वह आगे की पढ़ाई और ट्रेनिंग के लिए जालंधर चला गया और स्पीड फंड एकेडमी ज्वाइन कर ली। विक्की गौंडर बचपन से ही गुस्सैल स्वभाव का था और इस बात को मां-पिता ने भी कोचिंग एकेडमी वालों को बता दिया था। लेकिन डिस्कस थ्रो में अव्वल खिलाड़ी और औसत दर्जे के छात्र होने के नाते उससे सभी प्यार करते थे।
दिनभर ग्राउंड में प्रैक्टिस करने के चलते ही उसका नाम ‘विक्की ग्राउंडर’ पड़ गया था, लेकिन आम बोलचाल में ग्राउंडर शब्द गौंडर में बदल गया। जालंधर की एकेडमी में विक्की कभी-कभार किसी से भिड़ जाता था। लेकिन पहली बार साल 2008 में वह अपराध की दुनिया में तब आया जब उसका संपर्क एकेडमी के ही नवप्रीत उर्फ लवली बाबा से हुआ। लवली बाबा के संपर्क तब के कुख्यात गैंगस्टर प्रेम लाहोरिया और सुक्खा काहलवा से था। थोड़े दिनों में ही विक्की भी इन दोनों गैंगस्टर्स के करीब आ गया और हाईवे पर होने वाली लूटपाट में शामिल हो गया।
बताया जाता है कि विक्की को एकेडमी में ट्रेनिंग के दौरान ही सेना से नौकरी की पेशकश भी हुई, लेकिन उसने नौकरी करने से मना कर दिया। राष्ट्रीय स्तर पर तीन गोल्ड मेडल और दो सिल्वर मेडल जीतने वाले विक्की का उद्देश्य अब बदल चुका था। यहीं से हरजिंदर सिंह भुल्लर उर्फ विक्की गौंडर के हाथो से डिस्कस की डिस्क छूट गई और बंदूक ने अपना कब्जा जमा लिया।
साल 2010 में अपराधी सुक्खा ने लवली बाबा का मर्डर कर दिया तो विक्की और प्रेम लाहोरिया दोनों ने बदला लेना चाहा। लवली की हत्या के बाद ही सुक्खा पुलिस के हत्थे चढ़ गया और जनवरी 2015 में एक दिन जालंधर कोर्ट में पेशी के दौरान ही विक्की और प्रेम ने सुक्खा पर हमला कर दिया। भीषण गोलीबारी में सुक्खा मारा गया और दोनों का बदला पूरा हो गया।
सुक्खा की मौत के 11 माह बाद साल 2015 के दिसंबर महीने में विक्की गौंडर को तरन तारण से पकड़ लिया गया और रोपड़ जेल ले जाया गया। रोपड़ में अन्य कैदियों से मारपीट के बाद उसे नाभा जेल भेज दिया गया। विक्की यहां करीब 11 महीने रहा, लेकिन नवंबर 2016 में जेल से भाग निकला। “चर्चित नाभा जेल ब्रेक कांड” में वह 5 साथियों के साथ फरार हुआ था और उस पर 10 लाख का इनाम रख दिया गया था।
जेल से भागने के बाद विक्की को लगा कि वह आजाद है, लेकिन अब वह पुलिस की आंखों में चुभने सा लगा था। छापेमारी के दौरान 27 जनवरी 2018 में पुलिस ने एक दिन श्रीगंगानगर के पक्की गांव में विक्की और उसके साथी को घेर लिया गया। आपसी मुठभेड़ में पंजाब के सबसे कुख्यात अपराधियों में से एक विक्की और प्रेम लाहोरिया को मार गिराया गया। जिस विक्की की छाती पर कभी मेडल लटकते थे, आज वहीं गोलियां दाग दी गई थी।