दुनियाभर में अपनी क्रूरता के लिए कुख्यात जर्मन तानाशाह एडोल्फ हिटलर ने अपनी शादी के कुछ घंटों बाद ही आत्महत्या कर ली थी। 30 अप्रैल, 1945 को हिटलर ने खुद को गोली मारी और मौत से पहले अपने वफादार हेंज से कहा कि उसकी लाश को पेट्रोल डालकर जला दिया जाए। हालांकि, आज भी लोगों को यह जानने की इच्छा है कि आखिर इतिहास के सबसे क्रूर तानाशाह ने खुद को गोली क्यों मारी और फिर शव जलाने को क्यों कहा था?
द्वितीय विश्व युद्ध के आखिरी चरण में हिटलर को अंदाजा लग चुका था कि अब उसकी हार नजदीक है। अप्रैल, 1945 के दौरान सोवियत सेनाओं ने हिटलर को चारों तरफ से घेर लिया था। इसीलिए उसने अपनी प्रेमिका और कुछ करीबी सहयोगियों के साथ बर्लिन में जमीन के 50 फीट नीचे मौजूद खुफिया बंकर में शरण ले ली थी।
इसी कालखंड में जब हिटलर को 28 अप्रैल 1945 में इटली के तानाशाह मुसोलिनी के मारे जाने की खबर लगी तो उसके मन में डर बैठ गया। तानाशाह हिटलर को लगा कि जैसा मुसोलिनी के साथ बर्ताव किया गया है, शायद उसके भी साथ ऐसा न हो जाए। दुनियाभर में अपनी क्रूरता से डर का माहौल पैदा करने वाला हिटलर हार के डर और मुसोलिनी के साथ हुई बर्बरता से इतनी बुरी तरह से टूट गया कि उसने खुदकुशी करने का फैसला कर लिया।
सोवियत सेनाओं के पकड़ में आने से पहले ही उसने खुद को बंकर में बंद कर लिया और पकड़े जाने के डर से उसने गोली मारकर आत्महत्या कर ली। हिटलर ने जिस दिन हत्या की उसके चंद घंटों पहले उसने अपनी प्रेमिका इवा ब्राउन से शादी रचाई थी। हिटलर किसी कीमत पर नहीं चाहता था कि वो गोली मारने के बाद जिंदा बचे, इसलिए गोली मारने के साथ सायनाइड की गोली भी चबा ली थी।
इसके अलावा, उसने अपने वफादार हेंज लिंगे को आदेश दिया था कि वह उसके शव को जला दे। ताकि उसके साथ वैसा कुछ न किया जा सके जो मुसोलिनी के साथ घटा था। हिटलर व इवा ब्राउन के द्वारा आत्महत्या करने के बाद हेंज लिंगे ने वादा निभाते हुए उनके शवों को चांसलरी के बगीचों में पेट्रोल डालकर आग के हवाले कर दिया था।