Written by Arnabjit Sur
Delhi Riots: उत्तर-पूर्वी दिल्ली के दंगों (Northeast Delhi Riots) के बाद से लगभग तीन साल से फरार 27 वर्षीय रवीश फातिमा (Ravish Fatima) दिल्ली पुलिस (Delhi Police) की गिरफ़्तारी से बच गई होती अगर उसकी ग्राहक सेवा कंपनी ने उसे लैंडलाइन फोन से कॉल नहीं किया होता। दिल्ली पुलिस (Delhi Police) को 2020 को दंगों के दौरान हेड कांस्टेबल रतन लाल की हत्या की आरोपी रविश फातिमा की तीन साल से तलाश थी। दिल्ली पुलिस (Delhi Police) के मुताबिक 24 फरवरी की घटना के बाद से रविश फातिमा से संपर्क करने का प्रयास किया जा रहा था। वह उन पांच आरोपियों में शामिल थी जो फरार थे।
पुलिस ने यह भी आरोप लगाया है कि वह विरोध प्रदर्शन आयोजित करने और विरोध स्थलों पर लोगों को इकट्ठा करने और उन्हें दंगा करने के लिए उकसाने में शामिल थी। इस मामले में दिल्ली पुलिस आयुक्त ने रविश फातिमा की गिरफ्तारी पर 50,000 रुपये का इनाम जारी किया था।
रविश फातिमा को पकड़ने में कैसे कामयाब हुई पुलिस
दिल्ली पुलिस ने जानकारी साझा की है कि रविश फातिमा के माता-पिता और भाई जम्मू में रहते हैं और बहन पूर्वोत्तर दिल्ली के मौजपुर में रहती है। इस घटना के बाद फातिमा ने सिकंदर (28) से शादी कर ली थी और उसके साथ अलग-अलग जगहों पर किराए पर रह रही थी। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पिछले साल उसने मौजपुर में एक मकान किराए पर लिया था। इस दौरान सिकंदर ने अपना फोन बंद रखा और उसके परिवार को उसके ठिकाने के बारे में नहीं पता था।
अधिकारी ने कहा कि बीए स्नातक फातिमा अपने मोबाइल नंबर बदलती रहती थी और कॉल डेटा रिकॉर्ड विश्लेषण के माध्यम से उसके स्थान को ट्रैक करना एक कठिन काम बन गया था। अधिकारी ने कहा कि तीन साल से हमारी सभी तकनीकी निगरानी को एक मुश्किल का सामना करना पड़ा क्योंकि वह या तो अपने सिम कार्ड बदलती रहती थी या केवल इंटरनेट कॉल करती थी। इसके बाद, पिछले साल अगस्त के आसपास हमें जानकारी मिली कि फातिमा अपने ससुराल वालों के संपर्क में थी, और हमने उनके कॉल डेटा रिकॉर्ड का विश्लेषण किया।
लैंडलाइन फोन से हुआ खुलासा
पुलिस को उसके ससुर द्वारा किए गए कॉल में एक पैटर्न नजर आया। एक अन्य अधिकारी ने कहा फातिमा के ससुर हर दूसरे दिन एक आईवियर कंपनी के कॉल सेंटर के लैंडलाइन नंबर पर कॉल करते थे और इसी तरह उन्होने थोड़े-थोड़े समय के लिए कॉल किए। हमने इसकी सूचना भनक लग जाने की वजह से किसी को नहीं दी। इस गतिविधि पर नजर बनाए रखी। संदिग्ध गतिविधि को देखते हुए गुड़गांव में कंपनी के कार्यालय में एक पुलिस टीम तैनात की गई जहां प्रबंधक ने उन्हें बताया कि उन्होंने अपने ग्राहक सेवा कार्यों को नोएडा की एक फर्म को आउटसोर्स किया था। हम उस फर्म पर पहुँचे जहाँ स्टाफ मैनेजर ने हमें बताया कि रविश फातिमा पिछले दो वर्षों से उनके साथ काम कर रही है। मैनेजर ने कहा कि वह घर से काम कर रही थी और बैठक के लिए हर तीन महीने में कार्यालय आती थी, जिसके लिए सिकंदर उसे छोड़ कर जाता था।
मैनेजर ने पुलिस को बताया कि घर से काम करने वाले कर्मचारियों को कंपनी की ओर से एक लैंडलाइन फोन और एक लैपटॉप दिया गया है। आखिरकार पुलिस ने एक योजना बनाई और मैनेजर से फातिमा को ऑफिस में एक बैठक के लिए बुलाने के लिए कहा जिसके बाद पिछले साल 13 अक्टूबर को शाम 5.35 बजे पुलिस ने फातिमा को अपने पति के साथ बाइक से ऑफिस आते देखा, जिसके बाद दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया।
फातिमा ने पुलिस को बताया कि उसने शक से बचने के लिए अपने परिवार और रिश्तेदारों को कॉल करने के लिए ज्यादातर ऑफिस के लैंडलाइन नंबर का इस्तेमाल किया था।