राजधानी दिल्ली में सरकारी एनसी हॉस्पिटल में काम करने वाले एक 27 साल के डॉक्टर को गिरफ्तार किया गया है। डॉक्टर पर आरोप है कि उसने फ्लैट में साथ रहने वाली अपनी पूर्व सहयोगी गरिमा मिश्रा की हत्या कर दी। दोनों मध्य दिल्ली के रंजीत नगर इलाके में किराए के मकान में रहते थे। 25 साल की गरिमा की गला रेतकर हत्या की गई थी। उनका शव मंगलवार शाम मिला। गरिमा का परिवार गोरखपुर रहता है। गरिमा ने गोरखपुर जाने वाली बस छोड़ दी थी, जिसके बाद उसका एक रिश्तेदार फ्लैट पर चेक करने गया था।

पुलिस के मुताबिक, आरोपी चंद्र प्रकाश वर्मा को शुक्रवार सुबह रुड़की से गिरफ्तार कर लिया गया। अधिकारियों का कहना है कि आरोपी गंगा में कूदकर जान देना चाहता था। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच की इंटर स्टेट सेल की टीम ने आरोपी को गिरफ्तार किया। इससे पहले वर्मा के रूममेट एक डॉक्टर ने पुलिस को बताया कि आरोपी चंद्र प्रकाश गरिमा से नाराज था। वह गरिमा को रोज-रोज साथ बाहर चलने के लिए कहता था। गरिमा के भाई ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि उसने घरवालों से चंद्र प्रकाश की शिकायत की थी। हालांकि, बाद में कहा था कि मामला सुलझ गया है। गरिमा एमडी के लिए तैयारी कर रही थीं। कुछ महीनों पहले उन्होंने सरकारी अस्पताल से नौकरी छोड़ दी थी।

गरिमा की मौत के बाद से वर्मा फ्लैट से गायब चल रहा था। डीसीपी क्राइम ब्रांच जी राम गोपाल नायक ने बताया कि वर्मा यूपी के बहराइच का रहने वाला है। उसे रुड़की से गिरफ्तार किया गया। डीसीपी ने बताया, ‘सवाल पूछने के दौरान उसने बताया कि लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी से एमबीबीएस करने के बाद वह जूनियर रेजिडेंट के तौर पर काम कर रहा था। वह रंजीत नगर में एक अन्य डॉक्टर के साथ फ्लैट में रहता था।’ पुलिस के मुताबिक, हॉस्पिटल में काम करने के दौरान वर्मा की मुलाकात मिश्रा से हुई थी। चंद्रकांत ने बचत के लिए अपने फ्लैट का एक कमरा गरिमा को दिया था।

पुलिस के मुताबिक, गरिमा ने नौकरी छोड़कर पढ़ाई पर फोकस करना शुरू कर दिया। वर्मा को लगा कि वह उसे नजरअंदाज कर रही है। डीसीपी ने बताया, ‘कुछ दिनों पहले उसने गरिमा को फिल्म देखने के लिए साथ चलने कहा। उसने इनकार कर दिया। इससे वर्मा नाराज हो गया।’ डीसीपी के मुताबिक, मंगलवार को वर्मा और मिश्रा में मंगलवार को तीखी बहस हुई। अफसर ने बताया, ‘उसने कथित तौर पर उसका गला घोंट दिया। जब वह बेहोश हो गई तो उसका गला रेत दिया। उसके बाद वह रुड़की भाग गया और दो बार जान देने की कोशिश की। हर बार वह इसलिए पीछे हट गया क्योंकि उसे लगता था कि अगर वह जान देने में असफल रहा तो वह अपाहिज हो जाएगा और परिवार वालों पर बोझ बन जाएगा।’