देश में कई किलर हुए हैं लेकिन साइको किलर अन्य अपराधियों जैसे नहीं होते। यह समाज के बीच आम लोगों की तरह रहते हैं और गुपचुप तरीके से वारदातों को अंजाम देते हैं। इन्हीं में से एक नाम अरुण चंद्राकर का भी था, जो लोगों को जिंदा कब्र में दफन कर देता था। अरुण का नाम साल 2012 में सुर्ख़ियों में तब आया, जब रायपुर एक जघन्य हत्याकांड में पुलिस एक बच्ची की तलाश कर रही थी। तभी उन्हें बच्ची का शव और कुछ नरकंकाल कब्र में मिले थे।
छत्तीसगढ़ के रायपुर में उस समय शायद यह पहला मामला था, जब पुलिस को अलग-अलग जगहों से नरकंकाल बरामद हुए थे। अरुण चंद्राकर, छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के गुंडरदेही का रहने वाला है। शुरुआत में यह एक मामूली चोर था और पुलिस रिकॉर्ड में यह डेढ़ दर्जन से अधिक मामलों में जेल जा चुका था। इसी आदत के कारण उसके पिता ने 1994 में इसे घर से निकाल दिया था। घर छोड़ने के बाद सीरियल किलर फुटपाथ पर अपनी जिंदगी गुजारने लगा था।
अरुण कई मामलों के चलते जेल में रहा था, यहीं उसकी मुलाकात एक अन्य अपराधी मंगलू देवर से हुई थी। फिर जनवरी, 2005 में जेल से छूटने के बाद चंद्राकर हीरापुर गांव में बहादुर सिंह नामक शख्स के घर में किराए से रहने लगा। हालांकि बाद में उसने बहादुर सिंह की भी हत्या कर दी। तभी मंगलू के जरिए ही उसकी जान-पहचान लिली नाम की महिला से हुई, जिससे उसने 2008 में शादी कर ली थी। इसके बाद अरुण, लिली के घर में ही रहने लगा था।
अरुण इस दौरान अपने काम को अंजाम देता रहा लेकिन पुलिस के हत्थे साल 2012 में चढ़ा था। तभी उसने अपने बारे में राज खोले थे और सात हत्याओं की बात कबूली थी। उसने पुलिस को बताया था कि उसने निठारी कांड से प्रेरित होकर इन वारदातों को अंजाम दिया था। क्योंकि फरारी के दौरान उसने कुछ दिन दिल्ली में गुजारे थे और तभी निठारी कांड चर्चा में आया था। सीरियल किलर चंद्राकर ने पुलिस को बताया था कि वो पूरी प्लानिंग से हत्याएं करता था।
अरुण ने पुलिस को बताया था कि वह पहले हत्या करता और फिर घर के पिछले हिस्से में गड्ढा खोदकर लोगों को जिंदा गाड़ देता था। बता दें कि इस साइको किलर ने पत्नी लिली, साली पुष्पाद देवांगन और मकान मालिक बहादुर सिंह के अलावा पिता और अन्य तीन की हत्या करना कुबूल की थी। आरोपी ने पत्नी सहित चार लोगों को बेहोश करके जिंदा जमीन में गाड़ दिया था। वहीं, पिता को चलती ट्रेन में पत्थर मारकर मार डाला था।