चम्बल के बीहड़ में कई दशकों तक डाकुओं का राज रहा। लेकिन फूलन देवी के बाद एक और चर्चित महिला दस्यु हुई जिसका नाम सीमा परिहार है। हालांकि, सीमा परिहार ने 18 साल तक राज करने के बाद साल 2000 में इन बीहड़ों को अलविदा कह दिया था।
सीमा परिहार का जन्म 1970 के करीब यूपी के औरैया जिले में एक गरीब परिवार में हुआ था। उन दिनों इस क्षेत्र में डाकुओं का आतंक था, क्योंकि यहीं से कुछ दूरी पर चंबल नदी के किनारे स्थित बीहड़ ही उनका मुख्य ठिकाना थे। साल 1983 में सीमा के गांव में डाकुओं ने धावा बोला और डाकुओं के सरदार लालराम उसे 13 साल की उम्र में अपने साथ लेकर चले गए। जो बच्ची अपने गांव में रहती थी वह अब खूंखार डकैतों के बीच रहने लगी। लेकिन आदत पड़ी तो खुद भी एक दिन चंबल की सबसे बड़ी महिला डकैत बनी।
डकैतों के साथ रहने के दौरान ही सीमा ने फूलन देवी का नाम सुना था और फूलन को आदर्श मानने लगी। लंबी कद काठी पर वर्दी के साथ माथे पर टीका, सिर पर लाल पट्टी और बंदूक सीमा की पहचान बन गई। उस समय सीमा परिहार खौफ का दूसरा नाम थी। इलाकों में उनका डर लोगों के जहन तक उतर चुका था। देखते ही देखते सीमा परिहार चंबल की सबसे कुख्यात और पुलिस के लिए मोस्टवांटेड अपराधी बन गई और उन्हें जिंदा या मुर्दा पकड़ने पर लाखों रुपये का इनाम भी रखा गया था।
दिनदहाड़े संगीन जुर्मों को आंधी की रफ्तार से अंजाम देने वाली सीमा परिहार के खौफ के कारण 80-90 के दशक में सन्नाटा पसर जाता था। कई सालों तक डाकू लालराम के साथ काम करने के बाद वह मशहूर डाकू निर्भय गुज्जर के साथ काम करने लगी। निर्भय के साथ आने के बाद कई बार सीमा का मुकाबला पुलिस के साथ हुआ। घंटों चलने वाली मुठभेड़ों के बाद भी सीमा और निर्भय बच निकलते थे। 90 के दशक के अंत तक सीमा का खौफ करीब 6 लाख एकड़ जमीन के हिस्से पर था।
सीमा ने डकैतों के बीच ही बीहड़ में डाकू निर्भय गुज्जर से शादी की थी और उन्हें उठाकर ले गए डाकू लालराम और डाकू फक्कड़ ने कन्यादान किया था। चंबल में आतंक मचाने के दौरान सीमा ने करीब 30 डकैती और 150 से ज्यादा अपहरण किये थे। वहीं सीमा ने 60 से ज्यादा हत्याओं को अंजाम दिया था। लेकिन सीमा परिहार का बीहड़ों से मन तब उचट गया, जब साल 2000 में डाकू लालराम को पुलिस एनकाउंटर में ढेर कर दिया गया।
18 साल तक चंबल के इलाके में धाक और खौफ का दूसरा नाम रही सीमा परिहार ने साल 2000 के जून महीने में पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। सीमा के सरेंडर करने के बाद उन पर करीब 29 केस दर्ज हुए, जिनमें से 8 हत्या और 6 अपहरण के मामले थे। सीमा को इसके बाद इटावा जेल भेज दिया गया, जहां उन्होंने तीन साल 7 महीने गुजारे और 2004 में वह बाहर आ गई। साल 2005 में पति निर्भय गुज्जर की मौत के बाद वह राजनीति की तरफ भी आई और समय-समय पर कई पार्टियों के साथ रहीं लेकिन बाद में सपा में शामिल हो गईं।
फूलन देवी की तरह ही सीमा परिहार पर भी एक फिल्म ‘वुंडेड’ बनाई गई थी, जिसे 2006 में रिलीज किया गया था। खास बात यह थी कि उसमें डाकू का रोल स्वयं सीमा परिहार ने निभाया था और इस फिल्म को काफी सराहा भी गया था। इसके बाद उन्हें साल 2010 में चर्चित टीवी शो ‘बिग बॉस’ में भी देखा गया था।