बिहार में कई बाहुबली और गैंगस्टर लेकिन कुछ ऐसे हुए जिन्होंने आगे बढ़ने के लिए अपने उस्ताद को भी मारने से गुरेज नहीं किया। इन्हीं में से एक नाम मुकेश पाठक का है। मुकेश पाठक ने वर्चस्व की जंग में अपने गुरु संतोष झा की हत्या करवा दी थी। संतोष झा बिहार के सबसे कुख्यात माफियाओं में से एक था।
गैंगस्टर मुकेश पाठक ने साल 2003 में अपने चचेरे भाई प्रेम नाथ पाठक की हत्या कर अपराध की दुनिया में कदम रखा। मुकेश पाठक द्वारा 8 मई 2003 को की गई इस हत्या को पारिवारिक रंजिश के चलते अंजाम दिया गया था। इस मामले में उसे 2004 में सीतामढ़ी से गिरफ्तार किया गया था। हत्या के मामले में गिरफ्तार होने के बाद मुकेश पाठक जेल में बंद रहा और जब बाहर आया तो माफिया संतोष झा को गुरु मानकर साथ काम करने लगा।
उस समय संतोष झा चर्चित माफिया हुआ करता था और उसकी अपनी धाक थी। संतोष उस वक्त नक्सली कमांडर गौरी शंकर के साथ काम करता था, लेकिन मतभेद के कारण अलग हुआ तो मुकेश भी अपने गुरु के साथ हो लिया। जमानत पर बाहर रहे मुकेश को फिर जेल भेज दिया गया, लेकिन जब जमानत से छूटा तो गांव के ही मुखिया के पति चुन्नू ठाकुर की दिनदहाड़े हत्या कर दी। इस हत्या में उसने अपने साथियों की मदद ली थी।
10 दिसंबर, 2010 में गांव के प्रधान पति की हत्या के बाद इलाके में तनाव की स्थिति पैदा हो गई और मुकेश के घर को आग लगा दिया गया। ऐसे में कई दिनों तक मुकेश के गांव में पुलिस का बंदोबस्त रहा। कहा जाता है कि मुकेश को हुलिया बदलने में महारत हासिल थी और इसी कला के दम पर कई सालों तक फरार रहता था। लेकिन साल 2012 में 17 जनवरी को रांची में संतोष झा के साथ गिरफ्तार कर लिया गया।
गिरफ्तारी के बाद मुकेश पाठक को शिवहर कारागार में रखा गया, जहां उसकी मुलाकात बिहार की किडनैपिंग क्वीन पूजा से हुई। दोनों में नजदीकियां बढ़ी तो 14 अक्टूबर 2013 को जेल में ही शादी रचा ली। शादी के करीब डेढ़ साल बाद 20 जुलाई 2015 को मुकेश, जेलकर्मियों को नशीला पदार्थ खिलाकर फरार हो गया। बताया जाता है कि फरार होने के बाद वह फिर से रंगदारी और गैरकानूनी धंधों को बढ़ाने में लग गया।
इसके बाद साल 2016 में उसका नाम दरभंगा के दो इंजीनियरों की हत्या में भी आया था, जिसमें बाद में संतोष झा व मुकेश पाठक दोनों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। बताया जाता है कि मुकेश ने किडनैपिंग, रंगदारी और लूट के पैसों को अपने गैंग के ऊपर लगाता था। मुकेश की गैंग में शामिल सदस्य खतरनाक हथियारों से लैस रहते थे, जिन्हें बाकायदा सैलरी भी दी जाती थी।
साल 2018 में कोर्ट के अंदर मारे गए संतोष झा की हत्या का आरोप भी मुकेश पाठक पर लगा था। मुकेश इस समय जेल में है और उसे कड़ी सुरक्षा के बीच पेशी में लाया जाता है। मुकेश पर बिहार के अलग-अलग थानों में दर्जनों आपराधिक मामले दर्ज हैं।