बिहार के मुंगेर जिले से माओवादियों को अब तक 125 से ज्यादा एके-47 जैसे घातक हथियारों की सप्लाई की गई है। ये तथ्य राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) और बिहार पुलिस की संयुक्त जांच में सामने आया है। ये भी पता चला है कि एके-47 बनाने का काम मध्य प्रदेश के जबलपुर में होता था।
इस पूरे गिरोह का मास्टरमाइंड सेना का रिटायर्ड आर्मरर था, जो जबलपुर के सैन्य डिपो से विभिन्न खराब हथियारों के पुर्जे निकालकर नई एके 47 बना दिया करता था। पुलिस ने इस गिरोह के जुड़े कई लोगों को 3 एके-47 और अन्य हथियारों के साथ गिरफ्तार किया था। मुंगेर के हथियार तस्कर एक एके-47 के एवज में नक्सलियों से 7 लाख रुपये तक वसूला करते थे।
इस गिरोह का भांडाफोड़ बिहार पुलिस ने अगस्त में किया था। दरअसल मुंगेर पुलिस ने 30 अगस्त, 2018 को जमालपुर के जुबली वेल चौक से वाहन चेकिंग के दौरान तीन एके-47 रायफलों के साथ इमरान को गिरफ्तार किया था। पुलिस से पूछताछ में उसने बताया कि इन हथियारों की डिलीवरी उसे मध्य प्रदेश के जबलपुर के पुरुषोत्तम लाल रजक ने दी थी। वह लोकमान्य तिलक एक्सप्रेस से जमालपुर आया था।
Bihar: Police arrested a man (in white vest) y’day&seized three AK-47 rifles from him in Munger. SP Munger says ‘We have names of a few people. We’ll investigate&take action. There’s a gang&we suspect weapons have reached several people. Some weapons have also reached the naxals’ pic.twitter.com/A9Rqw7bvsL
— ANI (@ANI) September 8, 2018
बिहार पुलिस ने ये जानकारी मध्य प्रदेश पुलिस के साथ साझा की। इसके बाद मध्य प्रदेश पुलिस ने पुरुषोत्तम लाल रजक, उसकी पत्नी चंद्रावती देवी और बेटे शीलेन्द्र को भी गिरफ्तार कर लिया। पुरुषोत्तम ने पूछताछ में पुलिस को बताया कि उसने एक बैग मुंगेर के इमरान और दूसरा बैग शमशेर को दिया था। पुलिस ने पुरुषोत्तम लाल रजक के पास से पांच प्रतिबंधित बोर के कारतूस, रायफल सुधारने के उपकरण, 6 लाख रुपये की नकदी और इनोवा, इंडिका कार बरामद की थी।
बाद में मध्य प्रदेश पुलिस से मिली सूचना के आधार पर एसटीएफ के विशेष जांच ग्रुप और मुंगेर पुलिस ने मुफस्सिल थाना क्षेत्र के बरदह गांव में 15 घंटे तक छापेमारी की। ये छापेमारी पुलिस ने शमशेर आलम उर्फ वीरू और बहन रिजवाना बेगम के घर पर की थी। यहां से छापेमारी के दौरान पुलिस को तीन एके-47 के अलावा, एके-47 की खाली मैगजीन, एक सिंगल बैरल बंदूक और एक डबल बैरल बंदूक का बट मिले थे। पुलिस ने उन्हें भी गिरफ्तार कर लिया था। सूत्रों के मुताबिक, पुलिस को सूचना मिली थी कि शमशेर के घर 1000 राउंड कारतूस भी हैं। लेकिन 15 घंटे की छापेमारी के बाद भी वह बरामद नहीं किए जा सके।
पुलिस के मुताबिक, आरोपी पुरुषोत्तम लाल, 506 आर्मी बेस वर्कशॉप में सेना के आर्मरर के पद पर तैनात था। वहां पर पुरुषोत्तम एके-47 सुधारने का काम करता था। साल 2008 में रिटायर होने के बाद पुरुषोत्त्म लाल रजक ने आर्मी से रिटायर हुए अपने साथी आर्मरर मुंगेर के रहने वाले नियाजुल हसन के जरिए इमरान और शमशेर से संपर्क किया।
पुलिस ने बताया कि पुरुषोत्तम लाल ने रक्षा मंत्रालय के सेंट्रल ऑर्डिनेंस डिपो में तैनात सुरेश ठाकुर नाम के अधिकारी की मदद ली। सुरेश के पास एके-47 सहित कबाड़ हो चुके कई खतरनाक हथियारों को गोदाम में रखने की जिम्मेदारी थी। सुरेश ठाकुर अपनी गाड़ी में बेकार हो चुकी AK-47 के पुर्जे चुराकर पुरुषोत्तम को देता था। शातिर पुरुषोत्तम रजक इसे वापस ठीक कर दिया करता था। एक एके-47 के बदले पुरुषोत्तम को 4.5 लाख रुपये से लेकर 5 लाख रुपये तक मिला करते थे।
एके-47 बेचकर पुरुषोत्तम लाल ने काली कमाई का अकूत साम्राज्य खड़ा कर लिया था। पुलिस को उसके ठिकानों सेे लाखों की नकदी, प्रतिबंधित बोर के कारतूस, रायफल सुधारने के उपकरण, कारों के अलावा महंगी शराब की बोतलें और कई संपत्तियों के कागजात भी मिले हैं। इसके बाद घटना की जांच एनआईए ने अपने हाथों में ले ली थी।