भारतीय जनता पार्टी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को गोरखपुर शहरी क्षेत्र की विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। पहले कयास लगाए जा रहे थे कि योगी को अयोध्या से चुनाव में उतारा जाएगा, लेकिन आखिर ऐसा क्या हुआ कि योगी को अपने गढ़ वापस जाना पड़ा।
योगी आदित्यनाथ का बेबाक हिंदुत्व चेहरा अगर अयोध्या से उतरता तो यूपी के अल्पसंख्यकों के लिए समीकरण बिठाना भारतीय जनता पार्टी के लिए मुश्किल हो जाता। या फिर बीजेपी को उनके द्वारा किए गए कार्यों को लेकर असमंजस हो सकती है कि अयोध्या की जनता उनके किए गए कार्यों को सिर आंखों पर लेगी या नहीं। या ऐसा भी हो सकता है कि जातिगत आंकड़ा बिठाने में योगी आदित्यनाथ अयोध्या में फिट न बैठते हों। फिलहाल योगी सरकार द्वारा अयोध्या में किए गए कार्यों को उत्तर प्रदेश की जनता कितना सिर आंखों पर बैठाएगी देखना बाकी है।
- आनंद शर्मा, संत कबीर नगर
सामाजिक समरसता
आजादी के बाद भारत ने अपने संविधान में धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक व्यवस्था को स्वीकार कर ‘हिंदू, मुसलिम, सिख, ईसाई आपस में है भाई-भाई’ का नारा बुलंद किया। लेकिन आज उन्मादी बयानों से सामाजिक ताना-बाना बिखरता जा रहा है। कोई दलितों का नेता बनता है, कोई हिंदुओं, तो कोई मुसलमानों का। सबका अपनी डफली अपना राग है। अपने उन्मादी जोश में कोई मुसलमानों को मिटा देने की बात करता है, तो कोई हिंदुओं को। एक तरफ विश्व बंदे बापू पर कीचड़ उछाला जाता है, तो दूसरी तरफ उनके हत्यारे पर फूल-माला चढ़ाई जाती है। कोई महामंडलेश्वर हिंदुओं की संख्या बढ़ाने की सलाह देते हैं, तो कोई हिंदू राष्ट्र घोषित करने की। तब फिर धर्मनिरपेक्ष भारत का क्या होगा?
भारतीय संविधान में धर्म धारण करने की आजादी है। धर्म समाज में शांति, अमन चैन, भाईचारा स्थापित करता है। समरसता, सदाचार, उदार और आदर्श चरित्र के साथ सफल जीवन जीने का पाठ पढ़ाता है। कोई भी धर्म दूसरे धर्म का विरोध नहीं करता और न ही समाज में कटुता पैदा करता है। समय आ गया है कि देश का आमजन, चाहे वह किसी भी जाति, धर्म, संप्रदाय का हो, सभी एकजुट होकर ऐसे उन्मादी बयान-बहादुरों का सामाजिक बहिष्कार करें और दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ सामाजिक समरसता को बनाए रखने की प्रतिज्ञा करें। भारत रूपी बगिया को विभिन्न पुष्प हैं, सब एक साथ खिलखिलाते रहें, बिहंसते रहें यही भारतीय संस्कृति की खूबसूरती है, इसे बनाए रखा जाए, तभी दुनिया भारत का अनुसरण करेगी।
- कामता प्रसाद सिंह, भभुआ (बिहार)