यूक्रेन और रूस युद्ध के समाप्त होने का कोई संकेत नहीं दिखाई दे रहा है। पिछले दिनों अमेरिकी और रूसी राष्ट्रपति ने एक-दूसरे के खिलाफ जैसे वक्तव्य दिए उससे इस युद्ध के हाल-फिलहाल समाप्त होने की कोई संभावना नहीं दिखाई दे रही। चीन अपनी ओर से रूस को हथियार देने को तैयार है, वहीं अमेरिका उसे चेतावनी दे रहा है, पर लगता है इस बात का चीन पर कोई असर नहीं पड़ रहा है। रूस जिस तरह यूक्रेन पर आज भी हमले जारी रखे हुए है, उससे तो यही लगता है कि उसने जो लक्ष्य तय कर रखे थे वे अब तक उसे प्राप्त नहीं हुए हैं। उसने भले यूक्रेन के कुछ भूभाग पर कब्जा कर लिया है, लेकिन अब तक यह भी स्पष्ट नहीं है कि वह उन्हें अपने पास क्या सदा बनाए रख सकेगा।
यूरोप समेत समूचे विश्व पर पड़ रहा युद्ध का असर
इन दोनों देशों के बीच बातचीत के जरिए इस युद्ध को समाप्त करने की बात आज कोई नहीं कर रहा है। जहां एक ओर रूस युद्ध की सनक में लगा हुआ है, वहीं यूक्रेन इस युद्ध के चक्कर में पश्चिमी देशों का मोहरा बन कर रह गया है। रूस-यूक्रेन युद्ध ने न केवल दोनों देशों को प्रभावित किया है, बल्कि यूरोप समेत समूचे विश्व पर इसका असर पड़ रहा है।
युद्ध रोकने का नहीं दिख रहा है रास्ता
इसके चलते खाद्यान्न संकट पैदा हो गया है, कई वस्तुओं की आपूर्ति भी प्रभावित हो रही है। इसके चलते आवश्यक वस्तुओं के दामों में काफी वृद्धि हो गई है। मानवता के समक्ष उपजे इस संकट को आज सभी स्वीकार तो कर रहे हैं, लेकिन कोई भी इस संकट के समाधान के लिए आगे आने को तैयार नहीं है, ताकि इस युद्ध को रोका जा सके।
संयुक्त राष्ट्र इस युद्ध को रोकने में जिस तरह असहाय और नाकाम रहा है, वह सबसे बड़ी चिंता की बात है। इसलिए जी-20 समूह का अध्यक्ष होने के नाते अब भारत का दायित्व है कि वह उन संभावनाओं की तलाश करे, जिससे इस युद्ध को अब मानवता के नाते खत्म किया जा सके। वह अपने विश्व बंधुत्व के सिद्धांतों का प्रयोग करते हुए रूस जैसी महाशक्ति को समझाएं की मारकाट और युद्ध की स्थिति से किसी का भी भला नहीं होने वाला है।
अगर रूस इस युद्ध को खत्म करता है, तो जो बदनामी आज उसे मिल रही है उसका भी अंत हो सकेगा। अमेरिका को भी यह समझना होगा कि उसे इस युद्ध की आग में घी डालने के बजाय अब इसकी समाप्ति के प्रयास में भारत की मदद करना चाहिए। इस युद्ध की समाप्ति में भारत और अमेरिका ही बड़ी भूमिका निभा सकते हैं।
- मनमोहन राजावत ‘राज’, शाजापुर, मप्र.