आरोप है कि मूर्ति करदाताओं के पैसे से खरीदी गई है। यह धन का दुरुपयोग है। कर से प्राप्त राशि का उपयोग देश के विकास एवं जनहित कार्यों में किया जाना चाहिए। जबकि हमारे देश में हर सत्ताधारी दल अपने नेताओं की मूर्तियां हर गांव-शहर में लगाने के लिए हमेशा आमादा रहते हैं।
कर के पैसे से देश में हजारों, लाखों मूर्तियां लगाई जा चुकी हैं। इनमें कई विवादास्पद नेताओं की मूर्तियां भी है। मूर्तियां लगाने की इस प्रथा पर बंदिश लगाना चाहिए। आवश्यक हो तो न्यायपालिका को भी इसमें हस्तक्षेप करना चाहिए। कब तक इस तरह मूर्तियां लगती रहेंगी और कब तक करदाताओं से प्राप्त राशि का दुरुपयोग होता रहेगा?
अरविंद जैन ‘बीमा’, उज्जैन
जवाबदेही का तकाजा
भारतीय लोकतंत्र की विशेषता है कि यहां नागरिकों के अधिकार के साथ उम्मीदों पर भी कायम है। आज जब भारत आजादी का अमृत महोत्सव बना रहा है तो यह मानना जरूरी है कि भावनाओं के साथ जवाबदेही भी जरूरी है। जो नेता जिम्मेदारी नहीं निभा सकेगा, वह भावनाओं से खेलता रहेगा। इसे समझने की जरूरत है।
सज्जाद अहमद कुरैशी, शाजापुर
सेवा के बजाय
देश में एक पंच, पार्षद से लेकर विधायक व सांसद तक भरपूर वेतन भत्ते और मुफ्त सुविधाओं के साथ ही आजीवन पेंशन सुविधाओं के हकदार हो जाते हैं। सभी जानते हैं कि अपने कार्यकाल में वे अपनी पूंजी को चौगुना तक कर लेते हैं। जबकि यह सेवा के नाम पर चुनाव लड़ कर सत्ता हथियाते हैं! मगर सेवा कम और मेवा ज्यादा बटोर लेते हैं!
जनता के टैक्स का पैसा इन आधुनिक ‘राजाओं’ पर जमकर खर्च होता है। नेता अधिकारियों का गठजोड़ जनता के शोषण का मजबूत गठजोड़ बन जाता है, जिसमें हर काम के लिए मूल्य चुकाना होता है। नेता अफसर की रक्षा करता है, अफसर नेता की रक्षा करता है।
सुभाष बुड़ावन वाला, रतलाम