सड़क हादसों में प्रति वर्ष लाखों लोग हताहत होते हैं, जिनमें भारी तादाद में लोगों की जान चली जाती है और उससे ज्यादा संख्या में लोग हमेशा के लिए अंगों से लाचार हो जाते हैं।
सड़क पर यातायात के नियमों का पालन करके काफी हद तक दुर्घटनाओं से बचा जा सकता है। दोपहिया चालकों को हेलमेट और चार पहिया वाहनों को सीट बेल्ट की अनिवार्यता का ज्ञान सभी को होना चाहिए। सुरक्षित यातायात के नियमों के पालन के साथ सरकार को गुणवत्तापूर्ण सड़कों के निर्माण की ओर ध्यान देना चाहिए। टूटी-फूटी, गड्ढायुक्त और खराब सड़कों के किनारे भी दुर्घटना के मुख्य कारण हैं।
सड़कों के किनारे ढाबों पर वाहनों को खड़ा होना, सड़क पर जानवरों का आ जाना और यातायात की निगरानी करने वाले तंत्र की लापरवाही भी सड़क दुर्घटनाओं के लिए जिम्मेदार है। सरकार द्वारा सड़कों पर चलने वाले वाहनों से सड़क कर और टोल टैक्स से करोड़ों रुपए वसूले जाते हैं। इस राशि से अच्छी सड़कें बनवाई जा सकती हैं, सुरक्षा के अन्य इंतजाम किए जा सकते हैं।
बच्चों को सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूक कर सरकार प्रशासन तंत्र को भी सक्रिय और जवाबदेह बनाने की ओर ध्यान देना चाहिए। सड़कों के निर्माण में होने वाली धांधली पर निगाह रखने के लिए जवाबदेह निगरानी तंत्र बनाना चाहिए। तभी देश में सड़कों पर सुरक्षित यातयात संभव होगा।
कुलदीप मोहन त्रिवेदी, जरगांव, उन्नाव
बेकाबू महंगाई
महंगाई घटने के बजाय बढ़ रही है। भारत की आबादी में बड़ी संख्या गरीबों की है। एक बड़ी आबादी वाले देश में ‘प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना’ के तहत 80 करोड़ से ज्यादा लोगों पर खर्च करने के बावजूद महंगाई ने सबसे ज्यादा इन्हीं लोगों को परेशान किया है। पिछले कुछ सालों से पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस के दाम भी काफी बढ़ गए हैं जो आम आदमी की रोजमर्रा की जरूरत है। हमारी कमाई का ज्यादा हिस्सा अब र्इंधन पर खर्च हो रहा है। एक वक्त था जब जनता एक मत थी कि र्इंधन और खाने के तेल की कीमत कम होनी चाहिए।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल के दामों के साथ-साथ घरेलू खाद्य पदार्थों में बढ़ोतरी हुई है, जिससे उपभोक्ताओं का विश्वास अब तक के सबसे निचले स्तर पर आ गया है। बढ़ती महंगाई के चलते सबसे ज्यादा मध्यम वर्ग के लोग और किसान चिंतित हैं, क्योंकि रासायनिक उर्वरकों की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है। कई राज्यों खासतौर पर महाराष्ट्र, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में अनियमित बारिश ने फसलों को नुकसान पहुंचाया है, जिससे भी दामों में वृद्धि हुई है। अगर खेती को चोट पहुंची तो इसका असर अर्थव्यवस्था और महंगाई, दोनों पर पड़ेगा।
दीपा अधिकारी, नैनीताल, उत्तराखंड</p>