चौपाल: समृद्ध संस्कृति व देशभक्ति का दायरा
देवतुल्य गुरु के धार्मिक आचरण पर संदेह करने से पहले अपना आचरण परखना जरूरी है।

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग में डॉक्टर फिरोज खान की नियुक्ति पर हमें गर्व क्यों न हो? मूर्ति को गुरु मान कर शिक्षा प्राप्त करने की परंपरा सनातनी विरासत का हिस्सा है, जहां गुरु की पहचान उसकी जाति, धर्म और वेशभूषा नहीं, बल्कि उसकी योग्यता है। देवतुल्य गुरु के धार्मिक आचरण पर संदेह करने से पहले अपना आचरण परखना जरूरी है। संवैधानिक प्रक्रिया के तहत डॉक्टर फिरोज खान का चुनाव हमारी समृद्ध संस्कृति का परिचय देता है।
बात-बात पर किसी मुसलिम देश चले जाने की सलाह देने वालों को इस बात से राहत मिलनी चाहिए कि हमारी भाषा को हमसे बेहतर जानने वाला एक मुसलिम धर्मावलंबी है।
फिरोज खान का मूल्यांकन उनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि के बजाय भाषा के प्रति व्यक्तिगत समर्पण और सामर्थ्य से होना उचित होगा। संस्कृत शिक्षक की नियुक्ति का विरोध न केवल असंवैधानिक है, बल्कि महामना द्वारा स्थापित मूल्यों की हत्या है। शिक्षार्थियों को अच्छी शिक्षा प्राप्त करने का पूरा हक है, मगर धर्म की आड़ में अवरोध पैदा करने का हक कतई नहीं है।
’एमके मिश्रा, मां आनंदमयीनगर, रातू
देशभक्ति का दायरा
आजकल देशभक्त शब्द का चलन काफी देखा जा रहा है। यह अच्छी बात है। लेकिन आखिर देशभक्ति है क्या? क्या यह सिर्फ क्रिकेट या फिर देशभक्ति का शोर मचाने वालों के लिए है? असली देशभक्त वे हैं, जो ईमानदार हैं। जो कभी भी ऊंच-नीच का भेद नहीं करते। अपने देश में हो रही बुराइयों के खिलाफ आवाज उठाते हैं। कभी अपने दिल पर हाथ रख कर पूछिए कि क्या मैं असल मायनों में देशभक्त हूं, या फिर असल में राजनीतिक प्यादा हूं!
’अंकुर केआर, चंडीगढ़
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