फौजी का दर्द
अखिलेश यादव की साइकिल पर राहुल गांधी के हाथ लगने और जयंत चौधरी के भी इसके साथ खड़े होने से यह और मजबूत हो जाएगी।

फौजी का दर्द
वैसे तो संविधान ने हम सभी को अभिव्यक्ति का अधिकार दिया है, मगर क्या हम सभी को अपनी बात कहने के लिए स्वतंत्रता वास्तव में मिली है? अगर हम सभी को संविधान ने बोलने की स्वतंत्रता दी है तो देश की सेना को यह अधिकार क्या प्राप्त नहीं है? अगर आज सेना के जवान को अपनी बात बोलने पर सजा दी जाएगी तो फिर न्याय कैसे होगा? जो देश की रक्षा करते हैं, अपने परिवार से दूर रहते हैं, दिन-रात देश की सीमा पर खड़े होकर देश के लिए लड़ते-मरते हैं, उसके बाद भी हमारे देश की सरकार सैनिकों का दुख-दर्द नहीं समझना चाहती तो यह गंभीर मामला है। क्या यह स्थिति देश के लिए शोचनीय नहीं हैं? सेना प्रमुख को चाहिए कि अपनी बात कहने वाले की समस्या का समाधान करें, न कि उसे सजा देने के लिए डराएं।
’शीतल चौहान, दिल्ली विश्वविद्यालय
युवा जोड़ी
अखिलेश यादव की साइकिल पर राहुल गांधी के हाथ लगने और जयंत चौधरी के भी इसके साथ खड़े होने से यह और मजबूत हो जाएगी। राहुल गांधी भी अब काफी निखरते जा रहे हैं। यूपी की जनता शायद एक मौका अखिलेश को और देना चाहती है। इस युवा जोड़ी के गठबंधन के साथ मुसलिम मतदाता भी झुकता दिखाई दे रहा है। मायावती की पार्टी इनके सामने कुछ छोटी ही लगती है। इसलिए मुख्य मुकाबला अब भाजपा और इस गठबंधन के बीच ही होता जान पड़ता है। दूसरी ओर प्रियंका वाड्रा और डिंपल यादव की जोड़ी भी कुछ कम नहीं लगती। वह भी कुछ अलग से धूम मचाने वाली है।
आज युवा पीढ़ी मुख्य रूप से रोजगार और जनसंख्या की समस्या को लेकर कुछ ठोस बदलाव चाहती है। यह बदलाव कैसा होगा, वक्त ही बताएगा। इसके लिए इन्हें मिल कर जनता के लिए ठोस कार्यक्रम देने होंगे। अब हवाई बातों और वादों से काम नहीं चलेगा।
’वेद मामूरपुर, नरेला, दिल्ली