चीन के साथ व्यापार घाटा सौ अरब डालर के पार निकल गया है। 2022 में भारत और चीन का द्विपक्षीय कारोबार 135.9 अरब डालर का रहा। इसमें आयात और निर्यात के बीच 100 अरब डालर से ज्यादा अंतर रहा। कोरोना काल के कारण करीब दो साल से खड़ी हुई अर्थव्यवस्था में पिछले साल अचानक मांग बढ़ी।
ऐसी परिस्थिति में किसी देश का आयात बढ़ना बहुत नकारात्मक भी नहीं है। लेकिन चीन के साथ द्विपक्षीय कारोबार की पूरी तस्वीर चिंता बढ़ाने वाली है। एक ओर चीन से आयात सालभर पहले के मुकाबले में बढ़ा है, वहीं निर्यात में अच्छी-खासी गिरावट देखने को मिली।
चीन जिस तरह से भारत के हितों को चोट पहुंचाने के लिए हर मोर्चे पर हर संभव प्रयास करता दिखता है, ऐसे में रणनीतिक रूप से भी यह सवाल अहम है कि आखिर हम चाह कर भी उसी से कारोबार कम क्यों नहीं कर पा रहे हैं।
यह एकतरफा व्यापार केवल और केवल चीन को ताकत देने वाला है। सवाल इसलिए भी गंभीर है, क्योंकि व्यापार घाटा उस दौर में 100 अरब डालर के पार पहुंचा है, जब ‘आत्मनिर्भर भारत’ से लेकर ‘मेक इन इंडिया’ तक विभिन्न योजनाओं के माध्यम से लगातार घरेलू स्तर पर उत्पादन बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
कोरोना काल के बाद से कई देश वैश्विक आपूर्ति शृंखला में चीन के का विकल्प तलाश रहे हैं। यह भारत के उद्यमियों और उद्योगपतियों के लिए बहुत बड़ा अवसर है, लेकिन हम इसका लाभ उठाने से चूकते दिख रहे हैं। हमें चीन पर निर्भरता को कम भी करना है और वैश्विक स्तर पर उसका विकल्प बनाना है।
इसके लिए हमारे उद्योगों को तकनीक में निवेश करने और उत्पादकता बढ़ाने पर जोर देना होगा। नीतिगत मोर्चे पर भी व्यापार के मामले में अपना खामियों को समझने और उन्हें दूर करने का समय है। चीन पर निर्भरता कम करने की दिशा में सरकार और उद्योगों के स्तर पर हो रही चूक की पड़ताल हम सभी के लिए बड़ा मुद्दा है।
- सदन जी, पटना, बिहार