शिक्षा किसी राष्ट्र की रीढ़ है। बिना शिक्षा के कोई भी राष्ट्र सक्षम और शक्तिशाली नहीं हो सकता है। आज भी शिक्षा के क्षेत्र में शैक्षणिक संस्थानों में एक नए सिरे से कई बदलाव की नितांत आवश्यकता है। इसके लिए बच्चों और शिक्षकों के बीच परस्पर वार्तालाप और संवाद स्थापित कर हर बच्चों के अभिभावकों तक पहुंचने की अत्यंत आवश्यकता है। शिक्षक शैक्षणिक भवन के अंदर बच्चों के क्रियाकलापों को देखते हैं। लेकिन शिक्षकों और शैक्षणिक संस्थानों की एक जिम्मेदारी यह भी होनी चाहिए की बच्चों के अभिभावक के माध्यम से बच्चों के घर के क्रियाकलापों से अवगत हों, ताकि उसमें जो अवगुण है, उसे खत्म किया जा सके।
एक सभ्य और शिक्षित समाज के बिना राष्ट्र का निर्माण संभव नहीं है। सभ्य और शिक्षित समाज के निर्माण के लिए बच्चों को उनके अवगुणों की पहचान कर उसे नए सिरे से आगे बढ़ने को लेकर शिक्षक की इसमें महत्त्वपूर्ण भूमिका है। बच्चे अगर सभ्य और विवेकवान होंगे, तो वे शैक्षणिक भवन में सकारात्मकता के माहौल को बनाने के लिए अपनी भूमिका अदा करेंगे। शैक्षणिक परिसर में शैक्षणिक वातावरण को और अच्छा बनाने के लिए अभिभावकों की भूमिका अहम होनी चाहिए।
- दिव्यांश गांधी, दिल्ली विवि