धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक भारत में विवादों का सिलसिला सालों-साल से चला आ रहा है। कब और कैसे, कौन-सा नया विवाद शुरू हो जाए इसका कोई अनुमान नहीं लगा सकता है। हाल के दिनों में देश में हो रहे राजनीतिक, धार्मिक, फिल्मों से संबंधित नए-नए विवादों ने पूरी दुनिया का ध्यान भारत की ओर खींच रखा है।
देश भर मे चल रहे, जातीय और धार्मिक विवाद धर्मनिरपेक्ष भारत राष्ट्र की पुरातन छवि को बहुत आहत कर रहे हैं। होना तो यह चाहिए कि विवादों की वजहों को शुरुआत के दौर में ही सुलझाने के प्रयास होने चाहिए, ताकि वे व्यापक रूप मे न फैलने पाएं। उग्र-रूप धारण किए विवाद, समाज के साथ-साथ संपूर्ण देश के लिए अहितकर हैं, यह सभी को भलीभांति समझनी होगी।
- नरेश कानूनगो, देवास, मप्र