नगालैंड के मोना जिले में सुरक्षाबलों की गोलीबारी में चौदह लोग मारे गए। इसके बाद से सेना और सुरक्षा बलों की तीखी आलोचना कथित उदारवादियों द्वारा की जाने लगी है। लेकिन कोई भी बुद्धिजीवी उस सूचना, जिसके आधार पर यह कार्यवाही की गई, की संदिग्धता पर सवाल नहीं उठा रहा, आखिर क्यों? निस्संदेह यह एक न होने लायक हादसा था, लेकिन जिस प्रकार की सूचना और आतंकियों की गाड़ी की निशानदेही सुरक्षा बलों को मिली, उसके आधार पर उक्त गोलाबारी की गई।
सवाल यहां यह उठता है कि आखिर वह झूठी सूचना इंटेलिजेंस को दी किसने? क्या इसके पीछे कोई साजिश है, कि निर्दोष लोगों की गाड़ी को आतंकियों की गाड़ी बता दिया। उन्हें मौत की गाड़ी में बैठा कर उस दिशा में रवाना कर दिया, जिस दिशा में पहले से घात लगाए सुरक्षाकर्मी आतंकियों का इंतजार कर रहे थे।
नगालैंड लंबे समय से अलगाववाद की आग में जला है। इस हादसे से इस संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता कि कोई है, जो इस प्रकार के हादसों से क्षेत्र को पुन: जलाना चाहता है। इस हादसे से सबक सीखने की आवश्यकता है कि भविष्य में ऐसा हादसा दोहराया न जाए।
’युवराज पल्लव, हापुड़