चौपाल: बेलगाम शराब माफिया
अवैध धंधेबाज परोक्ष रूप से समांतर राज चला रहे हैं, जिसमें सफेदपोश से लेकर प्रशासन तक की मिलीभगत है। आज बिहार का कोई ऐसा क्षेत्र नहीं है, जहां अवैध शराब और अन्य चीजों के कारोबार नहीं हो रहा हो।

शराबबंदी को सफल बनाने के मकसद से अवैध शराब कारोबारियों को रोकने पर पुलिसकर्मियों पर हमला आम बात हो गई है। बिहार के सीतामढ़ी के कोआरी मदन गांव में छापेमारी करने गई पुलिस टीम पर गोलियां बरसा दी गर्इं। मुठभेड़ में मेजरगंज थाना के एसआइ दिनेश राम शहीद हो गए। इनकी सर्विस रिवाल्वर भी लूट ली गई। चौकीदार लालबाबू पासवान को हाथ में चार गोलियां लगीं।
आखिर इन कारोबारियों के भीतर इतना मनोबल कहां से आया? कैसे शराब मुक्त होगा बिहार, जब बंद कराने वालों पर माफिया और शराब कारोबारी ही भारी पड़ जाए? ये कोई आतंकी हमला नहीं था, जिसकी गतिविधि और पहचान मुश्किल हो। ये दिन-रात आमजन जैसे शक्ल में रहने और घूमने वाले भेड़िये हैं, लेकिन इनके खिलाफ आम लोग मुंह खोलेंगे तो उनके हश्र का अंदाजा लगाया जा सकता है।
यह सीतामढ़ी की घटना से समझा जा सकता है। अवैध धंधेबाज परोक्ष रूप से समांतर राज चला रहे हैं, जिसमें सफेदपोश से लेकर प्रशासन तक की मिलीभगत है। आज बिहार का कोई ऐसा क्षेत्र नहीं है, जहां अवैध शराब और अन्य चीजों के कारोबार नहीं हो रहा हो।
जब तक रसूख वालों पर कार्रवाई नहीं होगी, तब तक छोटे-मोटे धंधेबाजों पर कार्रवाई का कोई फायदा नहीं होगा। सरकार को शराबबंदी को चुनौती के रूप में स्वीकार करना चाहिए और कड़ाई से पेश आना चाहिए।
’प्रसिद्ध यादव, पटना, बिहार