भारत का आयुर्वेद दुनिया की सबसे प्राचीनतम चिकित्सा पद्धतियों में से एक है। प्राचीन काल में सभी तरह के रोगों और शल्य चिकित्सा आयुर्वेद के द्वारा ही संपन्न होता था। भारत पर कई सौ वर्षों तक मुगलों और अंग्रेजों का शासन रहा है। इन दोनों ने हमारी सभ्यता, संस्कृति के साथ-साथ हमारी चिकित्सा पद्धति को भी छिन्न भिन्न कर दिया। अंग्रेजों के शासनकाल में एलोपैथ को बढ़ावा दिया जाने लगा, जो आज भी कायम है। सरकारी उपेक्षा की वजह से आयुर्वेद अपने ही देश में पराया हो गया। धीरे-धीरे लोग आयुर्वेद से दूर होते चले गए और एलोपैथ से जुड़ते चले गए। कोरोना काल में पूरी दुनिया की स्वास्थ्य सेवाओं की पोल खोल गई।
दुनिया के अन्य देशों की तुलना में भारत में कोरोना महामारी से मानव क्षरण कम हुए है, उसकी वजह भारतीयों की मजबूत रोग प्रतिरोधक क्षमता है। भारत के हर घर में मसालों के रूप में हल्दी, गोलकी (काली मिर्च), अदरख आदि चीजों को का इस्तेमाल किया जाता है, जो आयुर्वेद में औषधि के तौर पर दर्ज है। कोरोना से बचाव के रूप में आयुर्वेद को रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए आज पूरी दुनिया इस्तेमाल कर रही है। देश के प्राचीन भोजन को आज दवा के रूप में पेश किया जा रहा है। आयुर्वेद के साथ होकर और अपनी जीवनशैली में बदलाव लाकर हम महामारी को नियंत्रित कर सकते है।
हिमांशु शेखर, गया, बिहार