विश्व आर्थिक मंच की दावोस की वार्षिक बैठक से पहले विश्वभर के धन्नासेठ अरबपतियों और भारत के आर्थिक हालात पर आक्सफेम इंटरनेशनल संस्था द्वारा दर्शाए गए आंकड़ों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि विश्वभर में अमीरजादों का कुनबा तेजी से बढ़ रहा है। भारत में जिस तरह मात्र एक प्रतिशत अरबपतियों के पास भारत की कुल संपत्ति का चालीस फीसद होना दर्शाया गया है, जबकि टैक्स के मामले में निचले स्तर की आबादी की सहभागिता कहीं ज्यादा है। उससे यह साबित हो रहा है कि भारत में अमीरी का स्तर जितना ऊपर उठा है, उससे कहीं अधिक गरीबी का स्तर भी नीचे गिरता जा रहा है।
इसमें भारत को उसकी बढ़ती जनसंख्या और बेरोजगारी उसकी आर्थिक विकास की नींव को हर रोज कमजोर कर रही है। विश्व आर्थिक मंच या वर्ल्ड इकोनामिक फोरम के आंकड़ों से यह भी स्पष्ट है कि अगर भारत के सौ अरबपतियों पर ढाई फीसद कर लगाया जाए तो भारत के हर गरीब बच्चे को अच्छी शिक्षा मिलने का प्रावधान हो सकता है।
लेकिन पिछले कई वर्षों में पूर्णबंदी के दौरान भी अरबपतियों की संपत्ति में कई गुणा बढ़ोतरी होना और आमजन का कंगाल होना इस बात का प्रमाण है कि आम जनता अभी तक सिर्फ राशन की दुकानों पर लाइन लगाने में व्यस्त है, जबकि अरबपति लोग अपनी संपत्ति में वृद्धि करने लगे हैं। जिस कारण भारत के आर्थिक पैमानों में गरीब और अमीर के बीच धरती आसमान का अंतर दिखाई देता है।
- आकाश कुमार, मेरठ