भारत में मेहमान को देवता के समान समझा और सम्मान दिया जाता है। लेकिन तब क्या होता है जब यही मेहमान छेड़छाड़ जैसी वारदात को अंजाम दे। ऐसा लगता है कि बस भारतीय संस्कृति की अच्छाई का फायदा उठाया जाता है। हाल ही में एक विदेशी पर्यटक ने नई दिल्ली से गोवा जाने वाली एक उड़ान में महिला परिचारिका के साथ दुर्व्यवहार किया और साथ बैठने की जिद करने लगा।
यह वारदात असल में भारतीय मेहमाननवाजी के साथ भद्दा मजाक माना जा सकता है। जब किसी विदेशी पर्यटक को अपार सम्मान और प्यार दिया जाता है, तब यह उस पर्यटक की जिम्मेदारी है कि वह भी समान व्यवहार करे।
किसी भी पर्यटक से यही उम्मीद जताई जाती है कि वह इस बात को समझे और सामाजिक हदों का सम्मान करे। लेकिन जिस तरह ऐसी घटनाएं घटित होती हैं, यह मानव समाज को शर्मसार कर देता है। इसका यह मतलब कतई नहीं है कि सिर्फ मेहमानों को ही सम्मानजनक व्यवहार करना है। जो मेहमाननवाजी करता है, उसकी भी उतनी ही जिम्मेदारी होती है।
खैर, मामला भारतीय न्याय व्यवस्था संभाल रही है। यह देखना दिलचस्प होगा कि निर्णय का रुख किस ओर मुड़ता है, क्योंकि पर्यटक विदेशी है। कानूनी कार्रवाई को एक जटिलता से गुजरना होगा। लेकिन भारतीय न्याय व्यवस्था को इस बात की परवाह न करते हुए कि वह विदेशी है, उचित और सख्त संदेश देने वाली कार्रवाई करनी चाहिए। समाज और न्याय में छेड़छाड़ जैसी हरकतें बिल्कुल सही नहीं हैं।
निखिल रस्तोगी, कुरुक्षेत्र, हरियाणा