ममता की तानाशाही
पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी का तानाशाही रूप अक्सर सामने आता रहता है।

प्रचार का हथकंडा
पहले भारत के तिरंगे को पायदान पर छापना और अब गांधीजी की फोटो वाले स्लीपर चप्पल। क्या अमेजॉन अपने उत्पादों को किसी जांच प्रक्रिया से नहीं गुजारता? उसके द्वारा इस प्रकार की उपेक्षा उत्पादों की बिक्री पर नकारात्मक असर डाल सकती है। इस कदम के पीछे अमेजॉन अगर अपना पब्लिसिटी एजेंडा छुपा रहा है तो यह उसकी गलतफहमी है। बाजारवाद की होड़ में स्वयं को अधिक हिट दिलाने के लिए अगर यह हथकंडा अपनाया गया है तो यह निंदनीय है। अगर उसने यह सोचा है कि इससे भारतीय बाजार में उसे ग्राहक संख्या बढ़ाने में मदद मिलेगी तो यह सरासर उसकी गलतफहमी है। जो युवा आॅनलाइन शॉपिंग करते हैं,उनमें भी देश प्रेम उतना ही है जितना बाकी नागरिकों में। इसलिए अमेजॉन को माफी मांगते हुए ऐसे उत्पादों पर पूरी तरह रोक लगानी चाहिए।
’वीरेश्वर तोमर, हरिद्वार
ममता की तानाशाही
पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी का तानाशाही रूप अक्सर सामने आता रहता है। उन की धारा से अलग जैसे ही कोई अपना विचार रखता है तो वे उसे बोलने या सार्वजानिक कार्यक्रम करने की इजाजत नहीं देतीं। पहले ममता सरकार ने तारिक फतेह को कोलकाता में कार्यक्रम नहीं करने दिया। फिर केंद्रीय मंत्री और पश्चिम बंगाल से ही सांसद बाबुल सुप्रियो को आसनसोल में कार्यक्रम करने से रोका। सुप्रियो हाईकोर्ट गए और बारह जनवरी को अनुकूल आदेश ले आए। उसके अगले ही दिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत को कोलकाता में रैली करने की अनुमति भी हाईकोर्ट से ही मिली। न्यायालय ने कोलकाता के पुलिस आयुक्त के अवमानना की कार्यवाही भी प्रारंभ की है। लेकिन इस सभी मामलों के मूल में क्या है? ममता बनर्जी का तानाशाही रवैया।
’अजय मित्तल मेरठ